एक दशक में सड़कों पर होंगी चालक रहित सस्ती कारें
ऑस्ट्रेलिया के अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि अगले एक दशक में ही आम आदमी की पहुंच में होगी चालक रहित कारें। ये सब पर्थ स्थित कर्टिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की बनाई नई तकनीक आइज एंड ईयर से मुमकिन होगा। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इस नई तकनीक के जरिए एक औसत कार में लगे दर्जन भर सेंसर और एक जोड़ी एलगोरिद
मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया के अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि अगले एक दशक में ही आम आदमी की पहुंच में होगी चालक रहित कारें। ये सब पर्थ स्थित कर्टिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की बनाई नई तकनीक आइज एंड ईयर से मुमकिन होगा।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इस नई तकनीक के जरिए एक औसत कार में लगे दर्जन भर सेंसर और एक जोड़ी एलगोरिदम उसे बिना ड्राइवर चलाने में सहायक होंगे। एलगोरिदम में बड़े पैमाने पर आंकड़े उपलब्ध होंगे जो कार के स्वत: चलाने के लिए उसके सहायक साबित होंगे। इससे कार को तार्किक सूचनाएं मिलेंगी दो उसे स्थान, रुकावट और प्रकृति के बारे में पूरी जानकारी देंगी। इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के माहिर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बा टुंगवो का कहना है कि ये स्वायत्त कार मर्सिडीज बेंज की अनुसंधान टीम के सदस्य करटिन डामलर और जर्मनी की उल्म यूनिवर्सिटी के बीच साझा प्रयोग के तौर पर तैयार की गई है। चूंकि इसे इंटरनेट से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है और इसका उत्पादन बहुत कम लागत से हो सकता है अत: ये जोड़ी नई ड्राइवर रहित कार को बाजार में उतारने के लिए तैयार है।
प्रोफेसर वो का कहना है कि उनका मकसद कार को कम लागत वाले सेंसरों, रडारों और कंप्यूटर तकनीक से जोड़ना है। ताकि लोग इस तकनीक का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। अभी जो ड्राइवर रहित कारें बहुत कम तादाद में मौजूद हैं उनकी लागत हजारों-लाखों डालर है। उन्होंने बताया कि तकनीक के मामले में तो कार को बड़ी कामयाबी हासिल हो गई है लेकिन ड्राइवर रहित कार को इंश्योरेंस आदि के लिए तैयार करने की अड़चनें अभी दूर की जानी बाकी हैं। कार को हादसे की स्थिति में अधिक विचारवान बनाने की आवश्यकता है। वह ये तय करने में सक्षम होनी चाहिए कि सड़क हादसे के समय गलती किसकी है या हादसे से बचने के लिए उसका त्वरित निर्णय क्या हो।
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