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मेडिकल साइंस का जादू: 1998 में जमेे भ्रूण ने 18 वर्ष बाद लिया जन्‍म

18 वर्ष पहले तीन बार मां बनने का प्रयास किया पर असफल रही, आखिरकार भ्रूण को जमा करवा दिया और अब 18 वषों बाद उसी भ्रूण ने मां बनने का अनमोल अहसास दिया।

By Monika minalEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 01:32 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 01:40 PM (IST)
मेडिकल साइंस का जादू: 1998 में जमेे भ्रूण ने 18 वर्ष बाद लिया जन्‍म

जियांग्सु। कहावत है- सब्र का फल मीठा होता है... यह कहावत चीन में सिद्ध हुआ। पूरे 18 वर्ष के बाद जमे हुए भ्रूण (फ्रोजन) को कोख में जगह मिली और इससे नि:संतान दंपत्ति को स्वस्थ संतान का अनमोल उपहार मिल गया।

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चीन के जियांग्सु प्रांत में 45 वर्षीया महिला हुआंग ने एक बच्ची को जन्म दिया। गत वर्ष नवंबर माह में महिला के कोख में फ्रोजन भ्रूण को इंप्लांट किया गया था। पूरी प्रक्रिया शंघाई में गायनेकोलॉजी हॉस्पीटल ऑफ फुदान यूनिर्सिटी में हुई। 1998 में प्रयासों से असफल हो चुकी हुआंग ने भ्रूण को जमा करने का निर्णय ले लिया था ।

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फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने का पता चलने के बाद हुआंग ने फर्टिलिटी सेंटर में इलाज शुरु करवाया। उस वक्त हुआंग की उम्र 27 वर्ष थी। हुआंग की बच्ची के जन्म ने देश का रिकार्ड तोड़ दिया है। रिकार्ड के अनुसार, महिला की फैलोपियन ट्यूब बंद थी और इसलिए 1995 से वह आइवीएफ इलाज करवा रही थी। लेकिन यह भी सफल नहीं हुआ। एक फ्रेश और तीन फ्रोजन भ्रूण के इंप्लांटेशन की असफलता के बाद उसने कुछ दिनों के इंतजार के बाद यह काम करने का निर्णय लिया।

2015 के शुरुआत में सकारात्मक परिणाम की उम्मीद से उसने अस्पताल से कंटैक्ट किया। इसे जादू ही कह सकते हैं क्योंकि इस बार वह सफल हुई।

डॉक्टरों की एक्सपर्ट टीम ने यह पता लगाया कि वह पतले एंडोमेट्रीयम और हाइड्रोसालपिंक्स से पीड़ित थी। उन्होंने पहले इन दिक्कतों को खत्म करने के लिए सर्जरी की उसके बाद भ्रूण को उसके कोख में स्थापित किया। सोमवार को उसकी खुशियों की झोली भर गयी जिसे अस्पताल ने बुधवार को जारी किया। रिपोर्ट के अनुसार बच्ची स्वस्थ है और उसका वजन 3,300 ग्राम है।

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डेली मेल के अनुसार, भ्रूण को जमाने यानि फ्रोजन भ्रूण को रखने के लिए डॉक्टर्स ने इसे 196 डिग्री सेल्सियम के बीच नाइट्रोजन में रख दिए। इस दौरान वह लगातार डॉक्टरों से मिलती रही। इसके बाद पिछले साल नवंबर 2015 में वह फिर हॉस्पिटल गई। यहां पर डॉक्टरों ने उसकी जांच की और उसे प्रेग्नेंसी कंसीव करने की सलाह दी। इस मामले में हम यह कह सकते हैं कि भगवान ने जिस काम को असंभव कर दिया था उसे डॉक्टरों ने संभव कर दिया। हालांकि इंतजार लंबा था पर बहुमूल्य परिणाम भी मिला।

चीन में कई ऐसे दंपत्ति हैं जो संतान के लिए आइवीएफ तकनीक की मदद ले रहे हैं। शंघाई हेल्थ ब्यूरो का कहना है कि मानव भ्रूण को पांच सालों तक रखा जा सकता है।

आइवीएफ तकनीक है क्या

1. मासिक धर्म के नैचुरल साइकिल को दवा से रोका जाता है

2. अंडाणु सप्लाइ को सपोर्ट के लिए- अंडाशय को सामान्य से अधिक अंडाणु उत्पन्न करने के लिए इलाज किया जाता है।

3. इसके बाद इसे मॉनिटर किया जाता है। साथ ही अंडे के विकास को देखने के लिए अल्ट्रा साउंड स्कैन होता है।

4. अंडे को हटाने के लिए अंडाशय में एक निडल डाली जाती है।

5. इसके बाद अंडाणुओं को शुक्राणुओं के साथ कुछ दिनों तक फर्टिलाइजेशन के लिए छोड़ा जाता है।

6. फर्टिलाइजेशन के बाद एक या दो भ्रूण को कोख में इंप्लांट कर दिया जाता है।

कोख में भ्रूण इंप्लांट करने के बाद, प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए दो हफ्ते इंतजार करना होता है, इसके बाद ही पता चलता है कि इसे आगे बढ़ा सकते हैं या नहीं।


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