दक्षिण सागर में चीन अब बना रहा मिसाइल भंडार गृह
दुनिया के तीसरे सबसे महत्व वाले समुद्री रास्ते के मध्य पड़ने वाले दक्षिण चीन सागर के करीब 90 फीसद हिस्से को चीन अपना क्षेत्र बता रहा है।
वाशिंगटन, रायटर। अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार के प्रयास के बावजूद चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी गतिविधियां धीमी नहीं कर रहा। वह सागर के बीच बनाए अपने कृत्रिम द्वीपों में दो दर्जन भवनों के निर्माण को अंतिम रूप देने में जुटा है। आशंका है कि चीन इन भवनों का इस्तेमाल सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को रखने के लिए करेगा। यह बात दो अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने रायटर से कही है।
दुनिया के तीसरे सबसे महत्व वाले समुद्री रास्ते के मध्य पड़ने वाले दक्षिण चीन सागर के करीब 90 फीसद हिस्से को चीन अपना क्षेत्र बता रहा है। उस समुद्री हिस्से में चीन ने न केवल कृत्रिम द्वीप बनाकर उनमें हवाई पट्टियां बना ली हैं बल्कि उनमें सेना और मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं।
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क्षेत्र के ऊपर से उड़ने वाले लड़ाकू विमानों और समुद्री जहाजों को भी चीन जताने से बाज नहीं आता कि वे चीनी क्षेत्र से गुजर रहे हैं। इस समुद्री इलाके पर चीन ने ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम का दावे को नकार दिया है। हाल के वर्षो में इलाके में चीन के बड़े सैन्य दखल का अमेरिका और क्षेत्रीय देशों ने विरोध किया लेकिन चीन ने प्राकृतिक और कृत्रिम द्वीपों पर निर्माण कार्य बंद नहीं किये।
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अमेरिकी खुफिया विभाग के अधिकारियों के अनुसार कृत्रिम द्वीप के जिन दो दर्जन भवनों पर कार्य चल रहा है वे 66 फीट तक लंबे और 33 फीट तक ऊंचे हैं। ऐसे में उनमें मिसाइल भंडारण किये जाने की ज्यादा संभावना है। इस बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए। वहां पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत की कार्य होने चाहिए। वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।