चीन बना रहा तीसरा विमानवाहक पोत, हिंद महासागर के बड़े हिस्से पर दबदबे की मंशा
चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की योजना पांच से छह विमानवाहक पोत निर्मित करने की है। उसना पहला विमानवाहक पोत लिओनिंग सोवियत काल के मॉडल पर आधारित है।
बीजिंग, प्रेट्र। समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए चीन एक के बाद एक विमानवाहक पोतों का निर्माण करने में जुटा है। बीजिंग ने पिछले साल अपने पहले विमानवाहक पोत को नौसेना में शामिल किया था। अब वह अमेरिकी मॉडल पर आधारित अपने तीसरे विमानवाहक पोत का निर्माण कर रहा है। वह विवादित दक्षिण चीन सागर पर दावा मजबूत करने के साथ हिंद महासागर के बड़े हिस्से पर अपना दबदबा चाहता है।
चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की योजना पांच से छह विमानवाहक पोत निर्मित करने की है। उसना पहला विमानवाहक पोत लिओनिंग सोवियत काल के मॉडल पर आधारित है। इसी मॉडल का दूसरा विमानवाहक पोत भी तैयार किया जा रहा है, जिसे 2020 तक तैनात किए जाने की उम्मीद है। यह पहले विमानवाहक पोत के मुकाबले ज्यादा उन्नत होगा। इसका निर्माण डेलियन पोर्ट में चल रहा है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, तीसरे विमानवाहक पोत का निर्माण शंघाई में किया जा रहा है।
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नौसेना विशेषज्ञ ली जी के हवाले से बताया गया कि तीसरा विमानवाहक पोत टाइप 002 लिओनिंग (001) और दूसरे पोत 001ए से बिल्कुल अलग होगा। यह अमेरिकी विमानवाहक पोत की तरह दिखेगा। पीएलए नेवी रिसर्च सेंटर के वरिष्ठ शोधकर्ता यिन झुओ ने कहा कि चीन को अपने क्षेत्रों और विदेश में हितों की रक्षा के लिए पश्चिम प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में दो-दो विमानवाहक पोत की जरूरत है। इसलिए हमें कम से कम पांच से छह विमानवाहक पोत बनाने की जरूरत है।
भारत भी बना रहा पोत
भारत के पास इस समय विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य है। इसके अलावा विक्रांत क्लास के एक विमानवाहक पोत का निर्माण चल रहा है। 40,000 टन वजनी इस पोत को साल 2018 तक सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। गौरतलब है कि लंबे अर्से तक भारतीय नौसेना की सेवा करने वाले विमान वाहक पोत आइएनएस विराट को गत वर्ष अक्टूबर माह में विदाई दी जा चुकी है।
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