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चीन के प्रभाव को कम करने के लिए म्यांमार पर भारत देगा खास ध्यान

चीन के प्रभाव पर नियंत्रण करने के लिए भारत अब अफगानिस्तान की तरह म्यांमार के आधारभूत ढांचों के विकास में योगदान देगा।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 12:26 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 05:19 AM (IST)
चीन के प्रभाव को कम करने के लिए म्यांमार पर भारत देगा खास ध्यान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । वर्षो से म्यांमार के सैनिक शासकों ने जिस तरह से चीन का दामन थाम रखा था अब वहां लोकतांत्रिक सरकार के आने से हालात बदल सकते हैं। म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार ने इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं कि वह हर तरह से भारत के साथ करीबी रिश्ते को लेकर उत्साहित है। भारत ने भी अपनी 'लोकतांत्रिक कूटनीति' के तहत म्यांमार को ढांचागत क्षेत्र के विकास से लेकर लोकतांत्रिक बुनियाद को मजबूत करने में मदद देने का आश्वासन दिया है।

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हाल के वर्षो में अफगानिस्तान के बाद म्यांमार पड़ोस का दूसरा देश होगा जिसके लोकतांत्रिक आधारों को मजबूत बनाने में भारत मदद करेगा। भारत को उम्मीद है कि इससे म्यांमार में चीन की बढ़ते प्रभाव को वह रोकने में सफल रहेगा।पिछले सोमवार को भारत के विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह लाओस की राजधानी वियंतियेन में म्यांमार की लोकप्रिय नेता व मौजूदा सरकार में विदेश मंत्री आंग सान सू से मुलाकात की थी। दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ाने को लेकर लंबी बातचीत हुई थी।

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का कहना है कि दोनों के बीच म्यांमार को कई क्षेत्रों में मदद देने पर बातचीत हुई। भारत ने अपनी तरफ से यह पहल की है कि वह म्यंामार में लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत बनाने में पूरी मदद करेगा। इसमें सांसदों को प्रशिक्षण देने, केंद्र व राज्यों के बीच संबंधों को परिभाषित करने, संघवाद को मजबूती से लागू करने, अधिकारों का वितरण संबंधी विषयों पर मदद शामिल होगा।

दोनों देशों के बीच की दो अहम परियोजनाओं कालादन मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और एशियन ट्राइलेटरल हाइवे की प्रगति पर भी चर्चा हुई।कालादन प्रोजेक्ट कोलकाता बंदरगाह को म्यांमार की सितवे बंदरगाह से जोड़ने वाली परियोजना है। इस प्रोजेक्ट को जोड़ने से पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के साथ ही म्यंमार को भी फायदा होगा। परियोजना के जल्द ही पूरा होने के आसार हैं। इसमें समुद्री, नदी व सड़क मार्ग को संयुक्त तौर पर विकसित किया जा रहा है।

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एशियन ट्राइलेटरल हाइवे परियोजना भारत, म्यांमार और थाइलैंड के बीच बेहतरीन सड़क मार्ग से जोड़ने वाली परियोजना है। इन दोनों परियोजनाओं को म्यांमार में चीन के बढ़ते असर को काटने के तौर पर भारत की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन इसका अहम फायदा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को भी मिलेगा।

भारत की तरफ से म्यांमार को रबर कोटेड सड़कों के निर्माण और सौर ऊर्जा में तकनीकी हस्तांतरण व अन्य मदद का भी आश्वसान दिया गया है। सू क्यू ने खास तौर पर सौर ऊर्जा के जरिए एक लाख मेगावाट बिजली पैदा करने की भारत की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर रुचि दिखाई है। माना जा रहा है कि सू क्यू जल्द ही भारत की यात्रा पर आएंगी तब इन सभी मुद्दों पर समझौते किए जाएंगे।

भारत ने इस कूटनीतिक के तहत ही अफगानिस्तान को एक लोकतांत्रिक देश बनने में काफी मदद की है। वहां के सांसदों को प्रशिक्षण देने से लेकर वहां संसद भवन का निर्माण करने और संसदीय व्यवस्था चलाने तक में भारत ने सबसे ज्यादा मदद की है। नतीजा यह है कि वहां शांति की सभी पक्षधर पार्टियां व आम जनता के बीच भारत की साख मजबूत है।

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