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कुत्ते से दुनिया को आईना दिखाते हैं अमित पटेल

अपने पालतू कुत्ते 'किका' के साथ उन्होंने गोप्रो कैमरे को अटैच कर दिया। इसकी मदद से उनका गाइड किका लोगों की घटिया हरकतों को रिकॉर्ड करने लगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 06 Jan 2017 06:50 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jan 2017 07:07 PM (IST)
कुत्ते से दुनिया को आईना दिखाते हैं अमित पटेल

लंदन, प्रेट्र। पांच साल पहले 37 साल के भारतवंशी अमित पटेल के आंखों की रोशनी चली गई। दृष्टिहीन अमित के लिए लंदन की गलियां अपरिचित सी हो गई। ऐसे में सड़कों पर दृष्टिहीन के साथ हर रोज होने वाले भेदभाव को कैद करने का उन्होंने नायाब तरीका खोजा। अपने पालतू कुत्ते 'किका' के साथ उन्होंने गोप्रो कैमरे को अटैच कर दिया। इसकी मदद से उनका गाइड किका लोगों की घटिया हरकतों को रिकॉर्ड करने लगा। वीडियो की मदद से अमित अब ऐसे लोगों को न केवल आइना दिखा रहे, बल्कि व्यवस्था में बदलाव लाने में भी कामयाब रहे हैं।

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अमित ने बताया, शहर एक डरावनी जगह होती है। किका कैमरे से जो फुटेज कैद करता है उसे देखने से पता लगता है कि शहर में हमेशा लोगों से मदद नहीं मिलती। वीडियो से मेरी लाचारी सामने आती है। किका को भी लोगों के थैलों से चोट का सामना करना पड़ता है। वह बहुत प्रताडि़त होता है। एक दिन एक महिला ने मुझे रोक लिया और कहा कि सबसे लिए दिक्कत पैदा करने के लिए मुझे माफी मांगनी चाहिए। इसी घटना के बाद उन्हंे किका के साथ कैमरा अटैच करने की सूझी।

अमित ने बताया कि किका अब हर यात्रा को कैमरे में कैद करता है। उनकी पत्नी सीमा बाद में ये वीडियो देखकर पता करती है कि कहां किसने कैसा व्यवहार किया। ऐसे ही एक वीडियो के कारण लंदन रेलवे स्टेशन पर बदलाव करना पड़ा। यात्रियों की मदद के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की गई। इस घटना को याद करते हुए अमित ने बताया,'मैंने मदद के लिए आग्रह किया, लेकिन कोई नहीं आया। वीडियो से साफ पता चलता है कि मेरे चारों ओर कई कर्मचारी खड़े थे। अंत में एक कर्मचारी आया और उसने कहा माफ कीजिएगा। मैं आपको देख नहीं पाया। मुझे यह सुनकर बहुत बुरा लगा। कोई सामने खड़ा हो और फिर कहे कि आपको देखा नहीं।' बाद में इस वीडियो को उन्हें नेटवर्क रेल के पास भेज दिया। वीडियो का असर भी पड़ा और नेटवर्क रेल ने मामले की जांच कराई और व्यवस्था में जरूरी बदलाव किए।

अमित ने बताया कि जब वे मेडिकल स्कूल के आखिरी साल के छात्र थे तब उन्हें पता चला कि वे केराटोकोनस से पीडि़त हैं। इसमें कॉर्निया का आकार बदल जाता है। आंखों में नसें फटने से 48 घंटों के भीतर ही रोशनी चली गई। छह बार कॉर्निया के प्रत्यारोपण की कोशिश असफल रही।

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