17वें करमापा के अरुणाचल दौरे से बौखलाया चीन, सीमा विवाद को लेकर चिंता
हाल में ही तिब्बती आध्यात्मिक गुरु 17वें करमापा के अरुणाचल दौरे से चीन चिंतित है और उम्मीद जतायी है कि सीमा विवाद मामले में भारत कार्रवाई नहीं करेगा।
बीजिंग (जेएनएन)। तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु 17वें करमापा, उग्येन त्रिनले दोरजी की अरुणाचल दौरे के मद्देनजर चीन ने 'सीमा विवाद' के मुद्दे पर भारत से संबंधित मामले पर कार्रवाई न करने की उम्मीद जतायी है। करमापा ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है।
करमापा के दौरे में उनके साथ केंद्रीय राज्य मंत्री किरण रिजिजू भी थे, जिससे राजनयिकों का ध्यान इस ओर गया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने सोमवार को बताया, 'भारत के पूर्वी हिस्से पर चीन का रुख स्पष्ट है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत संबंधित सहमति का पालन करेगा और ऐसी किसी कार्रवाई से दूर रहेगा जो सीमा विवाद को जटिल बनाती हो।' लू ने आगे कहा, 'सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने और द्विपक्षीय संबंधों में दृढ़ और स्थिर प्रगति ही दोनों पक्षों के हित में है।'
इससे पहले भी चीन दलाई लामा, भारतीय नेताओं और विदेशी प्रतिनिधियों की अरुणाचल यात्रा का विरोध करता रहा है। करमापा के दौरे से चीन इसलिए चिंतित है क्योंकि उन्होंने अरुणाचल के मोन क्षेत्र के बड़े समुदाय को संबोधित किया। इस क्षेत्र पर चीन अपना आधिपत्य बताता है। यह क्षेत्र दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद का हिस्सा है।
17वें करमापा ने अरुणाचल प्रदेश के अपने पहले दौरे में पश्चिम कामेंग जिले का दौरा किया था और कालाकटांग जाने से पहले तांजीगांग के ग्यूतो मठ में तिब्बतियों को उपदेश दिया था।