चीन में एकीकृत हुई भारत-पाक सीमा की सैन्य कमांड
चीन ने पहली बार अपनी सेना पीएलए के सभी एरिया कमांड को एकीकृत कर दिया है। सोवियत युग के मॉडल को खत्म करते हुए अमेरिकी स्टाइल के संयुक्त कमांड प्रणाली स्थापित की जा रही है।
बीजिंग। चीन ने पहली बार अपनी सेना पीएलए के सभी एरिया कमांड को एकीकृत कर दिया है। सोवियत युग के मॉडल को खत्म करते हुए अमेरिकी स्टाइल के संयुक्त कमांड प्रणाली स्थापित की जा रही है। भ्रष्टाचार मुक्त और आधुनिक सेना तैयार करने की इस मुहिम में चीन ने भारत और पाकिस्तान से लगी अपनी सीमाओं की दो कमांड को एक कर दिया है।
चीन ने भारत-पाक से लगी दो एरिया कमांड को एक करके इसे सबसे बड़ा बना दिया है। ताकि संघर्ष या युद्ध के मौके पर समूची चीनी सेना (थल, वायुसेना और नौसेना) को बिना वार कमांडर के ही एक ही जगह एकजुट किया जा सके। चीन की यह तैयारी भले ही उनके अपने सुधार और आंतरिक संघर्ष पर काबू पाने के लिए बताई जा रही हो। लेकिन नई तब्दीली से भारत को भी सतर्क हो जाना चाहिए।
सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी का पीएलए पर नियंत्रण और पुख्ता करने के इरादे से चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 12 लाख सैनिकों वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में भ्रष्टाचार निरोधक अभियान व्यापक रूप से चलाया है। फिलहाल पीएलए की सात सैन्य एरिया कमांड हैं। जिनके क्षेत्र बीजिंग, नानझिंग, चेंगदू, जुनान, शेनयांग, लानझोऊ और ग्वांगझोऊ है। इसमें से चेंगदू सैन्य कमांड भारत के पूर्वी क्षेत्र के साथ तिब्बत क्षेत्र समेत अरुणाचल प्रदेश की सीमा तक फैला हुआ है। वहीं, लानझोऊ चीन की पश्चिमी कमांड है जो कश्मीरी क्षेत्र समेत पाकिस्तान की सीमा से लगी हुई है।
नई रणनीति के तहत इन दो अलग एरिया कमांड को सामरिक हिसाब से एक करते हुए शी चिनफिंग ने चेंगदू और लानझोऊ क्षेत्रों को एक कर दिया है। इससे यह पीएलए का सबसे विस्तारित और मजबूत कमांड बन गया है। लानझोऊ एरिया कमांड गुलाम कश्मीर और अफगानिस्तान की सीमा से लगा हुआ है। इस इलाके में पिछले कुछ सालों से हलचल है। यहां शिनझियांग क्षेत्र में उयुघुर इस्लामी आतंकियों से चीनी सेना कड़ा मुकाबला कर रही है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इतना विस्तृत कमांड एरिया बनाने का मकसद संघर्ष के समय बिना कोई युद्ध क्षेत्र कमांडर तैनात किए एकमुश्त सेना और कमांडर जुटाना हो सकता है।
लेकिन इसी के साथ संयुक्त सैन्य कमांड प्रणाली के चलते थल सेना का प्रभुत्व खत्म हो जाएगी और आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही चीनी वायुसेना और नौसेना की भूमिका बढ़ जाएगी। चूंकि व्यापक स्तर पर वायुसेना और नौसेना के आधुनिकीकरण के लिए इस बार के रक्षा बजट में 145 अरब डॉलर की व्यवस्था की गई थी।