वायु प्रदूषण का 'सुरक्षित' स्तर भी हृदय के लिए घातक
एक नए शोध के आधार पर बताया गया है कि औद्योगिक संयंत्रों व वाहनों से उत्सर्जित होने वाले जीवाश्म ईधन के धुएं से हवा में फैले छोटे कण और नाइट्रिक डाइऑक्साइड (एनओ2) से भी हृदय रोग होने का खतरा रहता है।
लंदन। एक नए शोध के आधार पर बताया गया है कि औद्योगिक संयंत्रों व वाहनों से उत्सर्जित होने वाले जीवाश्म ईधन के धुएं से हवा में फैले छोटे कण और नाइट्रिक डाइऑक्साइड (एनओ2) से भी हृदय रोग होने का खतरा रहता है।
शोध में हल्के वायु प्रदूषण के एसटी-सेग्मेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन (एसटीइएमआइ) पर असर का अध्ययन किया गया है। एसटीइएमआइ तेज दिल के दौरे की एक स्थिति होती है। बेल्जियम के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ ब्रुसेल्स के शोधकर्ता ज्यां-फ्रांसिस अर्गाचा के अनुसार, 'एसटीइएमआइ और वायु प्रदूषण का संयुक्त रूप से एक दिन के लिए अध्ययन किया गया था। हालांकि वायु प्रदूषण का स्तर यूरोपियन वायु गुणवत्ता के स्तर जितना था।'
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इसके आधार पर बेल्जियम में 2009 से 2013 तक एसटीइएमआइ के कारण अस्पताल में भर्ती हुए 11,428 लोगों के रिकॉर्ड को भी परखा गया था। इसी तरह आयु के आधार पर एक अन्य आकलन में पाया गया कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के रोगियों को एसटीइएमआइ की समस्या अधिक होती है। वहीं 54 वर्ष या उससे कम के रोगी दूसरे स्थान पर आते हैं।
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शोधकर्ता कहते हैं कि अभी यह आकलन केवल पुरुषों पर ही किए गए हैं। अर्गाचा के अनुसार चूंकि युवा पीढ़ी प्रदूषण की शिकार होने के दूसरे स्थान पर रही है, इसलिए कहा जा सकता है कि वह प्रोफेशनल जीवन के कारण वाहन प्रदूषण की चपेट में ज्यादा आते हैं। अर्गाचा कहते हैं कि प्रदूषण में यूरोपियन वायु गणुावत्ता से कम का स्तर एसटीइएमआइ को बढ़ाने का कारण बनता है।
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