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भारत-चीन के बीच वार्ता में कमी से बढ़ी मुश्‍किलें: भारतीय दूत

भारत चीन के बीच विभिन्‍न मामलों पर पैदा हुए तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के थिंक टैंक ने आज मुलाकात की।

By Monika minalEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 05:16 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 05:19 PM (IST)
भारत-चीन के बीच वार्ता में कमी से बढ़ी मुश्‍किलें: भारतीय दूत
भारत-चीन के बीच वार्ता में कमी से बढ़ी मुश्‍किलें: भारतीय दूत

बीजिंग (प्रेट्र)। भारत और चीन के बीच मुख्‍य मुद्दों पर वार्ता और विकास का तालमेल नहीं हो पाया है जिसके कारण दोनों देशों के बीच तनाव और मुश्‍किलें बढ़ गयी हैं।  दोनों देशों के थिंक टैंकों ने द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ रहे तनावों को रोकने के लिए आज चर्चा की।

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चीन में भारतीय दूत विजय गोखले ने दूसरे भारत-चीन थिंक टैंक मीटिंग में कहा, हम पड़ोसी और मित्र हैं, लेकिन पिछले आधे दशक से हमारे बीच वार्ता से विकास में गति नहीं आ रही है। दोनों देशों के बीच निरंतर वार्ता जारी रखना महत्‍वपूर्ण है।

गोखले ने कहा, ‘हमारे बीच बातचीत की कमी के कारण एक दूसरे को समझने में मुश्‍किल रही है जिसके कारण असमंजस की स्‍थिति पैदा हो गयी है। हमने यह भी देखा है कि इस रिश्‍ते में दोनों देश जब भी गंभीर तौर पर बातचीत करते हैं तो मुश्‍किलों के समाधान के लिए इनके पास परिपक्‍वता दिखाई देती है।‘ इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्‍ड अफेयर्स (ICWA) के डायरेक्‍टर जनरल अंबेस्‍डर नलिन सूरी की अध्‍यक्षता में प्रतिनिधिमंडल ने आज ICWA व चाइनीज अकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा आयोजित द्वितीय भारत चीन थिंक टैंक फोरम को संबोधित किया।

इस प्रतिनिधिमंडल में चीन में भारत के पूर्व राजदूत अशोक कांथा, भारतीय विद्वानों और भारत के 11 संस्थानों के क्षेत्रीय, आर्थिक और सामरिक मुद्दों पर विशेषज्ञ शामिल हैं। उन्होंने रणनीतिक संचार, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश सहयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और लोगों से लोगों तक आदान-प्रदान पर विचार-विमर्श किया। यहां बातचीत के बाद प्रतिनिधिमंडल गुआंगझोउ और शेंझेन के दक्षिण चीनी शहरों में जाएगी। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे के दौरान एमओयू द्वारा स्‍थापित यह फोरम द्विपक्षीय मंच है।

पहली मीटिंग गत वर्ष दिल्‍ली में हुई। फोरम में बोलते हुए चीन में भारत के पूर्व राजदूत सूरी ने कहा, हमारे पास कई कारण है जिसके लिए हमें आपस में जंग करने के बजाए एकजुट होने की जरूरत है।‘ हाल में मोदी व चीन के राष्‍ट्रपति जी जिनपिंग के मुलाकात की ओर इशारा करते हुए सूरी ने कहा, ‘हमारे नेताओं के विचारों को गंभीरता से समझने की जरूरत है।

इस फोरम में चीन के 50 बिलियन डॉलर वाले चीन पाक आर्थिक गलियारे, एनएसजी में भारत की एंट्री के साथ मसूद अजहर का मुद्दा भी उठा। चीन की ओर से इस फोरम में विदेश मामलों के सहयोगी मंत्री कोंग जुआनयू, प्रोफेसर वांग विगगुआंग, प्रोफेसर हू शीशेंग शामिल हुए।

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