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मुंबई हमले में शामिल था ओसामा

मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमलों की साजिश रचने में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद के साथ अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन भी शामिल था। इतना ही नहीं पिछले साल मई में ओसामा के मारे जाने तक दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध थे।

By Edited By: Published: Thu, 05 Apr 2012 08:03 AM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2012 07:08 PM (IST)
मुंबई हमले में शामिल था ओसामा

वाशिंगटन। मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमलों की साजिश रचने में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद के साथ अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन भी शामिल था। इतना ही नहीं पिछले साल मई में ओसामा के मारे जाने तक दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध थे।

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सईद कूरियर के माध्यम से अलकायदा प्रमुख से संपर्क करता था। यह रहस्योद्घाटन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के पूर्व सलाहकार और खुफिया एजेंसी सीआइए के पूर्व अधिकारी ब्रूस रिडेल ने किया है।

उनके मुताबिक 26/11 हमले को अंजाम देने के लिए मुंबई समेत भारत के कई स्थानों की रेकी करने वाले लश्कर आतंकी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी की रिपोर्ट और वीडियो को भी ओसामा ने देखा था। ये सभी सनसनीखेज जानकारियां अमेरिकी कमांडो को उसके पाकिस्तान स्थित घर से प्राप्त खुफिया दस्तावेजों और कंप्यूटरों से मिली थीं।

रिडेल ने बताया कि सईद को पाकिस्तान में सेना से समर्थन प्राप्त जानी-मानी हस्ती के तौर पर देखा जाता है। उसकी महत्वाकांक्षा केवल पाकिस्तान को कश्मीर हासिल करते देखने की नहीं है, बल्कि वह एशिया के इस क्षेत्र में मुगल साम्राज्य को फिर से स्थापित करने और पूरे भारत को तहस-नहस करने की नीति पर काम करता है।

वह 17वीं और 18वीं सदी में उपमहाद्वीप पर प्रभुत्व जमाने वाले मुगल शासकों को अपना आदर्श मानता है, जिन्होंने मुस्लिम अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करते हुए हिंदू बहुल देश में राज किया।

रिडेल कहते हैं कि सईद ने 1999 में कारगिल युद्ध समाप्त होने के बाद भारत के खिलाफ खूब जहर उगला था। उसने कहा था कि इंशाअल्लाह, हम तब तब चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक पूरे भारत पर पाकिस्तान का कब्जा नहीं हो जाता। लश्कर ने अपने मुखपत्र में लिखा था कि कश्मीर को तो हम छह महीने के भीतर मुक्त करा लेंगे और उसके कुछ साल बाद भारत के सभी हिस्से हमारे अधीन होंगे।

अपने पूर्वजों की भांति हम हिंदुओं को अपना गुलाम बनाकर एक बार फिर मुगल शासन स्थापित करेंगे। रिडेल का कहना है कि सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ही लश्कर और सईद को पाल-पोसकर बड़ा किया है। उसे सेना के महत्वपूर्ण आयोजनों में आमंत्रित किया जाता रहा है।

लाहौर में लश्कर का मुख्यालय भी आईएसआई के कार्यालय के नजदीक स्थित है। उनका मानना है कि चूंकि अमेरिका और भारत काफी करीब आ चुके हैं, इसलिए अमेरिका भी सईद का दुश्मन बन गया है। अमेरिका ने उसके सिर पर इनाम रखकर न सिर्फ लश्कर के खिलाफ कमर कसी है बल्कि यह सेना और आईएसआई में उसके समर्थकों के लिए खतरे की घंटी है।

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह कदम वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमले में सईद की भूमिका को लेकर उठाया है। अमेरिका उसे न्याय के कठघरे में लाना चाहता है, जो अब तक कानून के शिकंजे बचता रहा है।

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