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भारत की बेटियों का चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा काम

हाईस्कूल में पढ़ने वाली भारतीय मूल की दो बहनों ने चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा काम किया है। उन्होंने ऐसा यंत्र बनाया है, जो आरंभिक स्टेज में ही फेफड़े और दिल की बीमारियों का पता लगा लेता है। इसे इलेक्ट्रॉनिक स्टेथोस्कोप के उपयोग से बनाया गया है। ये बहनें एलिना और मेधा कृष्ण हैं, जो अमेरिका के मिशिगन में पोर्ट ह्यूरो

By Sachin kEdited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 05:58 AM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 02:57 PM (IST)
भारत की बेटियों का चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा काम

वॉशिंगटन। हाईस्कूल में पढ़ने वाली भारतीय मूल की दो बहनों ने चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा काम किया है। उन्होंने ऐसा यंत्र बनाया है, जो आरंभिक स्टेज में ही फेफड़े और दिल की बीमारियों का पता लगा लेता है। इसे इलेक्ट्रॉनिक स्टेथोस्कोप के उपयोग से बनाया गया है। ये बहनें एलिना और मेधा कृष्ण हैं, जो अमेरिका के मिशिगन में पोर्ट ह्यूरो नार्दर्न हाईस्कूल की छात्रा हैं। हानिकारक वायु प्रदूषषण से फेफ़़डों को होने वाले नुकसान का समय से पहले पता लगाने के लिए उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक स्टेथोस्कोप का उपयोग कर एक स्क्रीनिंग यंत्र विकसित किया। मेधा ने बताया कि मेरा अध्ययन दिल की ध्वनि आवृत्तियों का विश्लेषषण एक उपयोगी तकनीक साबित हो सकता है। हाइपरट्रोफिक कार्डियोमायोपैथी ] की जांच में इसका उपयोग किया जा सकता है। दोनों बहनें अध्ययन के निष्कर्षो को अमेरिकी कॉलेज आफ चेस्ट फिजीशियन की सालाना बैठक सीएचईएसटी 2014 में पेश करेंगी। यह बैठक अगले सप्ताह ऑस्टीन में होनी है।

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एथलीटों का अध्ययन किया:

मेधा ने अध्ययन में 13 एथलीटों को शामिल किया, जिसमें दस सामान्य दिल वाले और तीन एचसीएम पी़ि़डत थे। एथलीटों के व्यायाम, ख़़डे रहने और सोने के दौरान दिल की ध्वनियों को रिकार्ड किया गया। फिर आवृत्तियों का विश्लेषषण किया। इससे सोने और व्यायाम के बाद की स्थितियों में महत्वपूर्ण अंतर का पता चला।

धूमपान करने वालों को परखा:

एलिना ने 16 धूमपान करने वाले, 13 दमकलकर्मियों और 25 धूमपान नहीं करने वालों का परीक्षण किया। एलिना ने प्रतिभागियों के श्वसन चक्र को रिकार्ड करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्टेथोस्कोप का उपयोग किया। फिर सर्वाधिक आवृत्ति का विश्लेषषण किया। इसमें सर्वाधिक ऊंची आवृत्तियां धूमपान करने वालों और दमकलकर्मियों में पाई गई।

अध्ययन का दूरगामी प्रभाव:

इलेक्ट्रॉनिक स्टेथोस्कोप के साथ जांच से फेफड़ों की कार्यप्रणाली में बदलाव का पता लगाया जा सकता है। वह भी फेफड़े में बीमारी के लक्षण के बगैर भी संभव हो सकता है।

अगले सप्ताह निष्कर्ष:

दोनों बहनें अध्ययन के निष्कर्षो को अमेरिकी कॉलेज आफ चेस्ट फिजीशियन की सालाना बैठक सीएचईएसटी 2014 में पेश करेंगी। यह बैठक अगले सप्ताह ऑस्टीन में होनी है।

पढ़ें: योग बनाए फेफड़ों की मजबूत

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