Move to Jagran APP

वित्त मंत्री का रुख सख्त, लोकप्रिय मामलों पर मेहरबानी नहीं

खजाने की सेहत के लिए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम लोकप्रिय योजनाओं पर भी मेहरबान नहीं हुए। वित्त मंत्री ने इस पर सफाई देते हुए बजट के खर्च के तरीके पर सवाल उठाए और राज्यों को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। यही वजह है कि गांवों को जोड़ने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और वजीफा समेत अन्य कई योजनाओं के बजट आवंटन में कटौती करने से भी पीछे नहीं हटे।

By Edited By: Published: Fri, 01 Mar 2013 10:16 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
वित्त मंत्री का रुख सख्त, लोकप्रिय मामलों पर मेहरबानी नहीं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खजाने की सेहत के लिए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम लोकप्रिय योजनाओं पर भी मेहरबान नहीं हुए। वित्त मंत्री ने इस पर सफाई देते हुए बजट के खर्च के तरीके पर सवाल उठाए और राज्यों को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। यही वजह है कि गांवों को जोड़ने वाली प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और वजीफा समेत अन्य कई योजनाओं के बजट आवंटन में कटौती करने से भी वह पीछे नहीं हटे।

loksabha election banner

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [मनरेगा] के लिए पिछले साल के बराबर ही धन का आवंटन किया गया है। लेकिन चालू साल में आवंटित बजट से तकरीबन चार हजार करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए जा सके। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश इसका ठीकरा राज्यों के सिर फोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि नियमों की सख्ती की वजह से राज्यों की अफसरशाही में थोड़ा भय बढ़ा है। इसलिए खर्च कम हुआ है। नजीर के तौर पर पीएमजीएसवाई में पिछले साल के बजट में 24,000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ, लेकिन केवल 3272 करोड़ रुपये ही खर्च हो सका है।

वित्त मंत्री चिदंबरम को इसीलिए बजट भाषण में यह कहना पड़ा कि बजट प्रावधानों को लागू करने में लापरवाही उचित नहीं है। इसके लिए प्रयास तेज किए जाएंगे। गरीबों का आशियाना बनाने वाली इंदिरा आवास योजना में पिछले साल के 11 हजार करोड़ रुपये के मुकाबले कहने को 15 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, लेकिन पिछले साल केवल 8121 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं। यानी पिछले साल के बकाये को जोड़ दें तो खजाने से कोई अतिरिक्त धन का आवंटन नहीं किया गया है।

सर्व शिक्षा अभियान को लेकर सरकार चौतरफा डंका पीटती रहती है। केंद्र व राज्यों के बीच परस्पर तालमेल के अभाव में 25 हजार करोड़ से अधिक के आवंटन के मुकाबले केवल 7324 करोड़ ही खर्च हो पाया है। इसके बावजूद चिदंबरम ने आगामी बजट में इसे बढ़ाकर 27 हजार करोड़ जरूर कर दिया है, लेकिन इसका कितना हिस्सा खर्च होगा, इस पर संदेह बना हुआ है। मिड डे मील जैसी योजना के चलते गरीब बच्चे स्कूल की ओर ंिखंचे चले आते हैं। इसके आवंटन में भी वृद्धि तो की गई है, लेकिन पिछले साल के 12 हजार करोड़ में केवल 3578 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं। कमोबेश यही हाल ज्यादातर जल कल्याणकारी योजनाओं के हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.