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सरकार व संगठन दोनों की मुसीबतें बढ़ाएगा आम बजट

दिल्ली में मध्यवर्गीय मतदाताओं की है अच्छी खासी संख्या कविलाश मिश्र, नई दिल्ली दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित बुधवार को अपनी सरकार की वर्ष 2012 की रिपोर्ट जारी करते हुए बेहद खुश नजर आ रही थीं। दिल्ली में हर वर्ग के विकास व खुशहाली की तस्वीर पेश कर उन्होंने चुनावी साल में अपने अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में एक

By Edited By: Published: Thu, 28 Feb 2013 09:28 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
सरकार व संगठन दोनों की मुसीबतें बढ़ाएगा आम बजट

नई दिल्ली [कविलाश मिश्र]। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित बुधवार को अपनी सरकार की वर्ष 2012 की रिपोर्ट जारी करते हुए बेहद खुश नजर आ रही थीं। दिल्ली में हर वर्ग के विकास व खुशहाली की तस्वीर पेश कर उन्होंने चुनावी साल में अपने अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में एक पहल जरूर की। लेकिन, केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किए गए बजट ने शीला सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है।

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नवंबर 2013 में दिल्ली में जब विधानसभा चुनाव होंगे तब आम बजट 2013 का अच्छा खासा असर देखने को मिल सकता है। केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने प्रदेश संगठन व दिल्ली सरकार को ऐसा कुछ भी नहीं दिया है जिसके बलबूते जनता से संवाद स्थापित किया जा सके। दिल्ली की मध्यवर्गीय व उच्चवर्गीय जनता ने बजट से जो आस लगा रखी थी वह पूरी तो नहीं हुई अलबत्ता उनके बटुवे से काफी कुछ निकालने की तैयारी हो गई है। मध्यवर्गीय उपभोक्ताओं के उपभोग से संबंधित सभी वस्तुओं के मूल्य में बढ़ोतरी होगी। रोटी, कपड़ा और मकान आदि के लिए मध्यवर्गीय लोगों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा। कार, मोबाइल की तो बात ही छोडि़ए, टीवी देखने के लिए भी अब अतिरिक्त पैसे चुकाने होंगे। अब जनता की नजर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर है, जो 20 मार्च को विधानसभा में बजट पेश करेंगी। हालांकि उनके पास भी जनता को देने के लिए कुछ खास नहीं है।

दिल्ली सरकार की नजर भी केंद्र सरकार के बजट पर ही थी। दिल्ली में कर कम करने की स्थिति में दिल्ली सरकार के बजट के गड़बड़ाने की पूरी संभावना है। आय के स्रोत सरकार के पास कम है, खर्च के ज्यादा। हालांकि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आम बजट को देश की प्रगति से जोड़कर देख रही है। लेकिन कांग्रेसी सकते में है।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव में 9 माह का समय शेष है। दिल्ली के मतदाताओं में मध्यवर्ग व उच्च वर्ग से ताल्लुक रखने वालों की अच्छी संख्या है। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले मतदाताओं की भी इतनी आय है कि उन्हें भी बजट परेशान कर सकता है। दिल्ली के राजस्व बढ़ाने में मध्य वर्गीय उपभोक्ताओं का अच्छा खासा योगदान भी है।

बुधवार को दिल्ली सरकार ने दिल्ली की जो गुलाबी तस्वीर प्रस्तुत की है उसके अनुसार औसतन प्रत्येक दिल्ली वासी दो मोबाइल फोन रखते हैं। सप्ताहांत पर रेस्तराओं व होटलों में लंच या डिनर लेना ज्यादातर दिल्ली वालों के लाइफ-स्टाइल में शामिल है। लेकिन, अब इसके लिए अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा। लग्जरी कारें, एसयूवी,, 2000 रुपये से ज्यादा के मोबाइल फोन, सेट टॉप बॉक्स, जूते, मार्बल सहित कई समान के मूल्य बढ़ेंगे। पहले से ही मंहगाई से त्रस्त जनता के लिए आम बजट जले में नमक छिड़कने जैसा है जिस पर मरहम लगाना दिल्ली सरकार व प्रदेश संगठन के लिए आसान नहीं होगा।

हालांकि, सरकार व संगठन दोनों बजट की तारीफ करते नजर आ रहे है लेकिन प्रदेश की जनता के सवालों का जवाब कैसे दिया जाए इसे लेकर अभी से परेशान है।


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