चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी परेशान, बचाएं तो खाएं क्या मंत्री जी
आयकर भरना अब सिर्फ अमीरों का ही एकाधिकार नहीं रह गया है। वेतन इस कदर बढ़ा है कि अब तो चपरासी भी आयकर के दायरे में हैं। दिन दूना रात चौगुना मुंह बढ़ा रही मंहगाई डायन इस बढ़े हुए वेतन को रोज छोटा और छोटा साबित करती जा रही है।
इलाहबाद [एल एन त्रिपाठी]। आयकर भरना अब सिर्फ अमीरों का ही एकाधिकार नहीं रह गया है। वेतन इस कदर बढ़ा है कि अब तो चपरासी भी आयकर के दायरे में हैं। दिन दूना रात चौगुना मुंह बढ़ा रही मंहगाई डायन इस बढ़े हुए वेतन को रोज छोटा और छोटा साबित करती जा रही है। आम बजट में न आयकर की सीमा बढ़ाई गई और न मंहगाई डायन को नाथने का ही कोई उपाय किया गया।
आयकर में जो छूट दी गई है उसे पाने के लिए एक आम कर्मचारी को हर माह आठ से दस हजार रुपये की बचत करनी पड़ेगी। कर्मचारियों व अन्य का कहना है कि वित्त मंत्री जी, बचाएंगे तो खाएंगे क्या। बजट में देश के वित्त मंत्री इस बात का जवाब देना भूल गए। पिछले कुछ वर्षो में वेतन में खासा इजाफा हुआ है। इस समय चपरासी का वार्षिक वेतन दो लाख 4082 रुपये पड़ रहा है। इसमें मूल वेतन 7170 रुपये, ग्रेड पे दो हजार रुपये, सीसीए 180 रुपये, एचआरए 1200 रुपये के साथ ही मंहगाई भत्ता शामिल है। आयकर के लिए निर्धारित मानक के अनुसार तो अब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी आयकर के दायरे में हैं। नियमानुसार इन कर्मियों को 47 रुपये कर देना पड़ेगा। यह कर बचाना है तो कर्मियों को बचत करनी पड़ेगी।
नियमानुसार दो लाख रुपये के ऊपर अगले एक लाख रुपये तक निर्धारित मदों में बचत करके टैक्स में छूट ली जा सकती है। इस तरह कुल तीन लाख तक की आय पर कर नहीं लग पाता। बचत न होने पर या इसके ऊपर की आमदनी होने पर कर देना पड़ता है। इस तरह 25 हजार प्रतिमाह तक की आय कर के दायरे से बाहर हो जाती है। उप्र राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव के अनुसार तीन लाख रुपये सालाना या 25 हजार रुपये तक की आय में इस समय 17-18 वर्ष की सेवा वाले सरकारी लिपिक तक आते हैं। एक लाख की सालाना बचत के लिए हर माह आठ हजार रुपये से अधिक की बचत करने की जरूरत है। भीषण महंगाई के इस दौर में एक तृतीय श्रेणी कर्मी के लिए अपने पूरे वेतन से भी घर चलाना मुश्किल हो गया है। आठ हजार की बचत वह करेगा तो खाएगा क्या और बच्चों को पढ़ाएगा कैसे। एजी ब्रदरहुड के अध्यक्ष हरिशंकर तिवारी के अनुसार तीन से पांच लाख तक की आय वालों के लिए आयकर में दो हजार रुपये की छूट की बात बेमानी है। इससे ज्यादा आराम में तो वह कर अदा करके रहेगा। कम से कम घर का खर्चा तो चल जाएगा। फिलहाल, आयकर दायरे को न बढ़ाना सभी को खासा अखर गया।