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बजट से उद्योग जगत में फैली निराशा

वर्ष 2012-13 के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा पेश किए बजट से उद्योग जगत खासा नाराज नजर आ रहा है। उद्योग जगत का कहना है कि जिस तरह से वित्त मंत्री ने अप्रत्यक्ष कर के जरिए 45,940 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा है, इससे तो यह साफ होता है कि आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक की ब्याज दरों में कहीं कोई कमी नहीं आएगी।

By Edited By: Published: Sat, 17 Mar 2012 12:09 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2012 08:46 PM (IST)
बजट से उद्योग जगत में फैली निराशा

नई दिल्ली। वर्ष 2012-13 के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा पेश किए बजट से उद्योग जगत खासा नाराज नजर आ रहा है। उद्योग जगत का कहना है कि जिस तरह से वित्त मंत्री ने अप्रत्यक्ष कर के जरिए 45,940 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा है, इससे तो यह साफ होता है कि आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक की ब्याज दरों में कहीं कोई कमी नहीं आएगी।

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उद्योग जगत ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने बजट में उत्पादन शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने की घोषणा की है, इससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ना तय है। साथ ही सेवा करों में बढ़ोतरी से भी उद्योग जगत को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज ने कहा कि यह बजट उद्योग जगत के लिए निराशाजनक ही है। वहीं फिक्की के अध्यक्ष आर वी कनोरिया ने कहा कि इस बजट से आने वाले दिनों की अर्थव्यवस्था काफी हद तक प्रभावित होगी।

दूसरी ओर गोदरेज समूह के प्रबंध निदेशक आदि गोदरेज ने कहा कि इससे आने वाले समय में महंगाई बढ़ सकती है। वहीं आईसीआईसीआई की निदेशक चंदा कोचर ने कहा कि मुझे उम्मीद ही नहीं लगती है कि अप्रैल तक आरबीआई की ब्याज दरों में कोई भी कटौती होगी।

कुल मिलाकर उत्पादन शुल्क में इजाफा व सेवा कर में भी बढ़ोतरी से उद्योग जगत निराश सा नजर आ रहा है।

1. उत्पाद शुल्क की दर 10 से बढ़ाकर 12 फीसदी किया।

2. अधिकांश सेवा उद्योग को देना होगा 12 फीसदी की दर।

3. लग्जरी कारों पर सीमा शुल्क की दर बढ़ाई।

4. कंपनियों को निवेश बढ़ाने पर कोई प्रोत्साहन नहीं।

5. ग्लोबल मंदी से परेशान घरेलू उद्योग के लिए कोई राहत नहीं।

6. लौह-अयस्क, स्टील, टेक्सटाइल कंपनियों के लिए उपकरण आयात सस्ता।

7. लघु व मझोली इकाइयों के लिए 5,000 करोड़ रुपये का विशेष फंड।

8. विदेशी वाणिज्यिक ऋण लेने के तरीके को उदार बनाया।

9. आठ नए विधेयकों के पारित होने से वित्ताीय कंपनियों को होगा फायदा।

10. कॉरपोरेट बांड से बाजार में मजबूती के एलान से भी होगा फायदा।

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