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दलितों को जमीन बेचने का हक देने का मंसूबा नाकाम

अनुसूचित जाति के लोगों को अपनी खेती की जमीन बेचने का अधिकार देने का अखिलेश सरकार का मंसूबा कामयाब नहीं हो सका। विधान परिषद में गुरुवार को छह विधेयकों को मंजूरी मिल गई लेकिन पर्याप्त संख्याबल के अभाव में सरकार उप्र जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2015 को

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 12:44 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 08:14 AM (IST)
दलितों को जमीन बेचने का हक देने का मंसूबा नाकाम

लखनऊ। अनुसूचित जाति के लोगों को अपनी खेती की जमीन बेचने का अधिकार देने का अखिलेश सरकार का मंसूबा कामयाब नहीं हो सका। विधान परिषद में गुरुवार को छह विधेयकों को मंजूरी मिल गई लेकिन पर्याप्त संख्याबल के अभाव में सरकार उप्र जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2015 को उच्च सदन से पारित कराने में नाकाम रही। बसपा, भाजपा और कांग्रेस के विरोध के कारण यह विधेयक विधान परिषद की प्रवर समिति को सौंपना पड़ा जो एक महीने में इस पर अपनी रिपोर्ट देगी।

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शून्यकाल के दौरान राजस्व मंत्री शिवपाल यादव ने उप्र जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार करने का प्रस्ताव पेश किया। नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस विधेयक से अनुसूचित जाति के लोगों के भूमिहीन होने की प्रबल संभावना है। विधेयक की आड़ लेकर अनुसूचित जाति के लोगों की जमीनों को दबंग जबर्दस्ती हथिया लेंगे। उन्होंने सवाल किया कि जब अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए उप्र जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम में संशोधन नहीं किया जा रहा है तो अनुसूचित जाति के लोगों के लिए कानून में यह तब्दीली क्यों की जा रही है। यह भी कहा कि अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के लिए राजस्व परिषद ने शासन से कोई सिफारिश नहीं की है। राजस्व संहिता 2006 में संशोधन के लिए अपर महाधिवक्ता की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट अभी विचाराधीन है। ऐसे में यह विधेयक जल्दबाजी में क्यों लाया जा रहा है। कांग्रेस के नसीब पठान ने कहा कि विधेयक की सुगबुगाहट होते ही अनसूचित जाति के लोगों की जमीनों के बैनामे तय किये जाने लगे हैं। वहीं भाजपा नेता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि विधेयक में अधिनियम में संशोधन के कारण और उद्देश्य स्पष्ट नहीं हैं। सरकार यह बताये कि अधिनियम के पारित होने से अनुसूचित जाति के लोगों के जीवन में क्या गुणात्मक सुधार आएगा। कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने भी विधेयक को प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव का समर्थन किया।

विधेयक को पारित कराने का अनुरोध करते हुए पिछड़ा वर्ग एवं विकलांग कल्याण मंत्री अंबिका चौधरी ने कहा कि 1982 में जब अधिनियम में संशोधन कर अनुसूचित जाति के लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रावधान किया गया, तब से अब तक स्थितियां बदल चुकी हैं। पौने तीन करोड़ से ज्यादा खाताधारक हैं जिनकी औसत जोत 0.5 एकड़ से ज्यादा नहीं है। ऐसे में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए 1.26 हेक्टेयर भूमि का प्रतिबंध किसी भी तरह से तार्किक नहीं है। इस प्रतिबंध के कारण जमीन बेचने के लिए बिचौलिये का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है और भूमि का उचित मूल्य भी नहीं मिलता है।

नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि सरकार की मंशा साफ है। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति को न भेजने का आग्रह किया। इसके बावजूद बसपा, कांग्रेस और भाजपा ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने पर बल दिया। विपक्षी दलों का संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित होने पर सभापति गणेश शंकर पांडेय ने विधेयक को विधान परिषद की प्रवर समिति को सौंपने का निर्देश दिया।

पारित हुए छह विधेयक

-एरा विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधेयक, 2015

-उत्तर प्रदेश इंडियन मेडिसिन (संशोधन) विधेयक, 2015

-भारतीय स्टांप (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2015

-डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान विधेयक, 2015

-डॉ.राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2015

-उत्तर प्रदेश लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त (संशोधन) विधयक, 2015


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