यूपी में किसान यात्रा लेकर निकले राहुल गांधी का पहला एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
राहुल गांधी का कहना है कि राजनीति में उनके हर किसी से अच्छे रिश्ते हैं बस मोदी को छोड़कर। दरअसल उनके और मेरे विजन में फर्क है। वे लड़ाने की राजनीति करते हैं। मैं देश को बनाने की।
कानपुर (जेएनएन)। दो साल पहले एक दशक तक केंद्र की सत्ता कांग्रेस के हाथ थी, पर देवरिया से किसान यात्र पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भरोसा है कि उन्हें राज्य में सत्ता मिल जाए तो पांच साल में 27 साल की बदहाली को काफी हद तक दूर कर देंगे। चुनाव में यह जज्बा होना भी चाहिए। पर यह भी सच है कि उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में भले ही राहुल की यात्र निकली हो, दशा सुधारने का दावा भी किया जा रहा हो पर निशाना केंद्र पर ही है। यही कारण है कि वह चुनाव के वक्त भी उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 'अच्छा लड़का कहते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख की आलोचना। उनका कहना है कि राजनीति में उनके हर किसी से अच्छे रिश्ते हैं बस मोदी जी को छोड़कर। दैनिक जागरण कानपुर के वरिष्ठ समाचार संपादक आनंद शर्मा से पुखरायां से कानपुर देहात मुख्यालय तक विशेष साक्षात्कार में मंगलवार को राहुल गांधी ने मौजूदा राजनीतिक हालात, किसान यात्र, खाट सभा के पीछे सोच सहित तमाम मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-
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सवाल- आप देवरिया से दिल्ली तक की किसान यात्र पर निकले हैं। इस यात्र का मूल मकसद क्या है?
राहुल : मैंने अभी तक उप्र में जितनी यात्र की है, उसमें महसूस किया कि किसानों का दर्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक नहीं पहुंच रहा। मोदी जी के मेक इन इंडिया या स्वच्छ भारत अभियान में भी कमजोर लोगों की बात नहीं की जा रही है। मैं किसान और कमजोर वर्ग की बात उन तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह यात्र कर रहा हूं।
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सवाल : फिर ये खाट सभा का आइडिया क्यों और कैसे?
राहुल : मेरा सोचना था कि किसानों से उन्हीं के माहौल में बात की जाए। मैं वनवे डिस्कशन में भरोसा नहीं रखता, इसीलिए गली, मोहल्लों और गांवों में जा रहा हूं। ये अभी तक किसी सरकार ने नहीं किया।
सवाल : कुछ लोग कह रहे हैं कि राहुल गांधी की सभा से किसान खाट लूट ले जा रहे हैं।
राहुल : सभा के बाद कुछ खाट वहां छोड़ी जा रही हैं, तो किसान ले जा रहे हैं। उन्हें चोर या लुटेरा बताना अच्छी बात नहीं है। भाजपा के लोग किसानों पर ऐसे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम कर रहे हैं।
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सवाल : अखिलेश यादव युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में बुजुर्ग शीला दीक्षित को चेहरा बनाना कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है?
राहुल : शीलाजी ने दिल्ली का विकास किया है। हम पावर के डीसेंट्रलाइजेशन की बात कर रहे हैं। बीते 27 साल में उप्र का विकास नहीं हुआ, इसलिए हम एक्सपेरीमेंटल बेस पर काम नहीं करना चाहते। विकास के लिए अनुभव चाहिए, जो शीला दीक्षित के पास है। राज बब्बर, संजय सिंह, गुलाम नबी आजाद जैसी टीम उनके साथ लगी है। सभी को साथ लेकर चल रहे हैं।
सवाल : जब किसी सरकार ने उप्र के लिए कुछ नहीं किया तो कांग्रेस ने क्या सोच रखा है?
राहुल : उत्तर प्रदेश संभावनाओं का प्रदेश है, लेकिन अफसोस ये है पिछले 27 सालों में जिसने भी यहां सरकार बनाई, उसने यहां से सिर्फ लिया ही है। बुंदेलखंड से खनिज लिया, सड़कों का पैसा खाया, बिजली के नाम पर बंटवारा किया लेकिन दिया कुछ नहीं। कांग्रेस यहां सरकार बनाकर बहुत कुछ देने आई है। हम प्रदेश की तस्वीर बदलना चाहते हैं, सत्ता हासिल करना हमारा उद्देश्य नहीं है। हमें काम करने के लिए सिर्फ पांच साल चाहिए। हम यूपी को ट्रान्सफार्म करना चाहते हैं।
सवाल : सपा में जिस तरह से पारिवारिक संघर्ष छिड़ा है, उसे किस नजर से देखते हैं?
राहुल : ये उनका अंदरूनी मामला है। इतना जरूर कहना चाहूंगा कि अखिलेश ने भ्रष्ट मंत्रियों को निकाला, लेकिन किसी ने फिर से बना दिया। इससे मुख्यमंत्री की हैसियत क्या रह गई उप्र में।
सवाल : कभी अखिलेश यादव को आप अच्छा कहते हैं और कभी वो आपको अच्छा कहते हैं, जनता इसको किस रूप में देखे।
राहुल : देखिये, मेरे व्यक्तिगत संबंध सभी दल के नेताओं से अच्छे हैं। इसका मतलब ये कतई नहीं कि हमारे मन में गठबंधन का कोई ख्याल है।
सवाल बीच में ही जब ये बोला गया, मोदी जी से भी।
राहुल : हंसते हुए बड़ी साफगोई से बोले. नहीं, मोदीजी तो मुझसे बात ही नहीं करते। दरअसल उनके और मेरे विजन में फर्क है। वे लड़ाने की राजनीति करते हैं। मैं देश को बनाने की राजनीति में विश्वास रखता हूं। मैं सौहार्द्र और भाईचारे की राजनीति में विश्वास रखता हूं। मैं सपनों में नहीं हकीकत में विश्वास रखता हूं।
सवाल : सभी के साथ अच्छे संबंध हैं, मोदी जी को छोड़कर तो मायावती से भी अच्छे संबंध होंगे।
राहुल : मैं मायावती की रेसपेक्ट करता हूं।
सवाल : उनके मुख्यमंत्री के काल में किये गये कार्यो का भी।
राहुल : उन्होंने अपनी युवावस्था में जो संघर्ष किया, मैं उसकी रेसपेक्ट करता हूं। राहुल गांधी अपनी यात्र के दौरान केवल किसानों को लेकर ही फोकस करते दिखाई दिये। उन्होंने कहा, देखिये आज सिर्फ किसान की बात और बाकी बातें बाद में।