हाईकोर्ट का फैसला, DU में आरक्षित सीटों पर सामान्य को दाखिला देना गलत
दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षित सीटों पर सामान्य छात्रों के दाखिले को दिल्ली हाईकोर्ट ने गलत बताया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आरक्षित सीटों पर दाखिला स्वतंत्र रूप से होता है और इसका सामान्य श्रेणी के छात्रों के मेरिट से कोई लेना-देना नहीं होता है।
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षित सीटों पर सामान्य छात्रों के दाखिले को दिल्ली हाईकोर्ट ने गलत बताया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आरक्षित सीटों पर दाखिला स्वतंत्र रूप से होता है और इसका सामान्य श्रेणी के छात्रों के मेरिट से कोई लेना-देना नहीं होता है।
डीयू ने जो तरीका अपनाया है, उससे आरक्षित वर्ग के छात्रों को सामान्य श्रेणी के छात्रों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी, जो कानूनी तौर पर गलत है।
दाखिले के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद कटऑफ तय कर दी थी। कटऑफ के बाद ओबीसी की सीटें खाली रह गई थीं, जिन पर बाद में सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों को दाखिला दे दिया गया।
इसके बाद याची ने खुद के दाखिले के लिए आदेश देने का आग्रह करते हुए ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों को दाखिला दिए जाने को चुनौती दी।
हालांकि, खंडपीठ ने आलम की उस मांग को ठुकरा दिया, जिसमें उसे दाखिला देने की बात की गई थी। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को ओबीसी की खाली सीटों पर दाखिला नहीं मिल सकता है, क्योंकि प्रवेश परीक्षा में उसे महज 34 अंक प्राप्त हुए हैं।
ऐसे में वह न्यूनतम योग्यता को पूरा नहीं करता है।दाखिले के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद कटऑफ तय कर दी थी। कटऑफ के बाद ओबीसी की सीटें खाली रह गई थीं, जिन पर बाद में सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों को दाखिला दे दिया गया।
इसके बाद याची ने खुद के दाखिले के लिए आदेश देने का आग्रह करते हुए ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों को दाखिला दिए जाने को चुनौती दी।
याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आरक्षित सीटों पर दाखिला स्वतंत्र रूप से होता है और इसका सामान्य श्रेणी के छात्रों के मेरिट से कोई लेना-देना नहीं होता है।
याचिकाकर्ता को भी नहीं मिली राहत
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को ओबीसी की खाली सीटों पर दाखिला नहीं मिल सकता है, क्योंकि प्रवेश परीक्षा में उसे महज 34 अंक प्राप्त हुए हैं। ऐसे में वह न्यूनतम योग्यता को पूरा नहीं करता है।