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यहां महिलाओं के हाथ होगी गांवों की सुरक्षा की बागडोर

समय-समय पर समाजिक बुराइयों के खिलाफ दुर्गा का रूप धारण करने वाली उत्‍तराखंड की नारियों के हाथों अब गांवों की सुरक्षा भी होगी। अब ये दुर्गा सीमांत गांव उत्‍तरकाशी में ग्राम प्रहरी के रूप में नजर आएंगी।

By sunil negiEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2015 03:27 PM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2015 09:14 PM (IST)
यहां महिलाओं के हाथ होगी गांवों की सुरक्षा की बागडोर

उत्तरकाशी। समय-समय पर समाजिक बुराइयों के खिलाफ दुर्गा का रूप धारण करने वाली उत्तराखंड की नारियों के हाथों अब गांवों की सुरक्षा भी होगी। अब ये दुर्गा सीमांत गांव उत्तरकाशी में ग्राम प्रहरी के रूप में नजर आएंगी।
जी हां, हम बात कर रहे हैं पहाड़ की महिलाओं की। इनके इरादे भी पहाड़ के जैसे मजबूत हैं। चिपको आंदोलन हो या राज्य निर्माण के लिए संघर्ष। इसमें इन नारियों ने अहम भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं शराब मुक्त समाज बनाने के लिए भी ये निरंतर संघर्षरत हैं। अब ये महिलाएं ग्राम प्रहरी के रूप में नजर आएंगी। आज इस संबंध में जिला मुख्यालय में आयोजित बैठक में एसपी अनंत शंकर ने बैठक ली। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिले में अब महिलाएं ग्राम प्रहरी बनेंगी। एसपी ने ग्राम प्रहरी संघ से भी बात की, जिस पर संघ ने अपनी सहमति दे दी। एसपी ने कहा कि गांव की महिलाएं गांव से पूरी तरह से जुड़ी रहती हैं। इसलिए महिलाओं के ग्राम प्रहरी बनने से वे अच्छी सूचना दे सकती हैं। एसपी ने कहा कि आपदा से निपटने के लिए गांव के युवाओं को पुलिस लाइन में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
ग्राम प्रहरी के कार्य
एक गांव में एक प्रहरी नियुक्त होता है। उसका कार्य गांव में होने वाली घटनाओं को पुलिस तक तत्काल पहुंचाना होता है। जैसे शराब पीकर हुड़दंग करने वालों और आपदा की जानकारी आदि। इसके बदले उन्हें एक हजार रुपये मासिक दिया जाता है।
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