आरडीएसओ की हरी झंडी पर चलेगी लखनऊ मेट्रो
लखनऊ (अंशू दीक्षित)। लखनऊ मेट्रो का प्रोजेक्ट कैसा होगा। मेट्रो किस रूट से निकलेगी और प
लखनऊ (अंशू दीक्षित)। लखनऊ मेट्रो का प्रोजेक्ट कैसा होगा। मेट्रो किस रूट से निकलेगी और पहले फेस में कितने कोच वाली मेट्रो चलेगी। इसके अलावा किस ट्रैक पर कितनी गति होगी और कहां पर सावधानी से गुजरना होगा। पूरी कवायद पर काम करने के बाद लखनऊ मेट्रो के अधिकारी डिजाइन आरडीएसओ को भेजेंगे। आरडीएसओ इसका अध्ययन करने के बाद ही मंजूरी देगा। बिना आरडीएसओ की हरी झंडी के लखनऊ मेट्रो दौड़ नहीं सकेगी।
अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) इससे पहले हैदराबाद, जयपुर, अहमदाबाद व दिल्ली मेट्रो के प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे चुका है। अब लखनऊ मेट्रो की बारी है। आरडीएसओ के महानिदेशक पीके श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ दिन पहले लखनऊ मेट्रो के एमडी राजीव अग्रवाल पूरा प्रोजेक्ट लेकर आए थे, लेकिन वह फाइनल नहीं था। इस संबंध में कई बिंदुओं पर चर्चा हो चुकी है। लखनऊ मेट्रो के सामने हैदराबाद, जयपुर, अहमदाबाद तथा दिल्ली, में चलने वाली मेट्रो के भी उदाहरण हैं। उनके मुताबिक अब राज्य सरकार को तय करना है किस रूट से मेट्रो निकालनी है। कहां भूमिगत मार्ग होगा और कहां पिलर खड़े करने होंगे। आरडीएसओ का काम सिर्फ डिजाइन का अध्ययन करने के बाद एप्रूवल सार्टिफिकेट देना होगा।
उन्होंने बताया कि एक किमी ट्रैक को पूरा करने में 125-150 करोड़ खर्च आता है। इस खर्च में सिग्नल, ओवर हेड इलेक्ट्रिक वायर, यात्री सुविधाएं, कोच की कीमत सहित सभी सुविधाएं तथा लागत जुड़ी हुई है। प्रोजेक्ट डिले होगा तो खर्च बढ़ने की संभावना से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है। कोच की आधुनिकता पर लागत और बढ़ सकती है। इंटीग्रल कोच फैक्टरी , कपूरथला मेट्रो के कोच भी बनाती है। एक कोच की कीमत 30 से 60 लाख रुपये तक है। अब इसमे संबंधित सरकार को देखना होगा कि वह कितने आधुनिक कोच लेना चाहती है। लखनऊ मेट्रो बजट के मुताबिक बमबारडियर, सीमेंस, चीन व साउथ कोरिया से भी कोच मंगा सकता है। यहां से आने वाले कोच की कीमत अधिक होगी।
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सीआरएस देगा ट्रैक को क्लीयरेंस
नए ट्रैक का निरीक्षण नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) करेंगे। बिना सीआरएस के ट्रैक बिछने के बाद भी मेट्रो को गति नहीं मिलेगी।