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लेजर लाइटों के इस्तेमाल से बढ़ा विमानों के भटकने का खतरा

शादी के दौरान लेजर लाइटों के बढ़ते प्रचलन से इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले विमानों के चालक असहज हो सकते हैं। रनवे पर उतरते समय रास्ता भी भटक सकते हैं। इस बात की आशंका जिला प्रशासन पहले भी कई बार जाहिर कर चुका है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2015 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2015 03:35 PM (IST)
लेजर लाइटों के इस्तेमाल से बढ़ा विमानों के भटकने का खतरा

दिल्ली (बिरंचि सिंह)। शादी के दौरान लेजर लाइटों के बढ़ते प्रचलन से इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले विमानों के चालक असहज हो सकते हैं। रनवे पर उतरते समय रास्ता भी भटक सकते हैं। इस बात की आशंका जिला प्रशासन पहले भी कई बार जाहिर कर चुका है।

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इन दिनों शादी समारोह जोरों पर हैं, ऐसे में एयरपोर्ट के आसपास की वाटिका व बैंक्वेट हॉल से निकलने वाली लेजर लाइटें फिर से आकाश में चमकने लगी हैं। जानकार बताते हैं कि लेजर लाइटें सूक्ष्म व पैनी होती हैं। ये एकदम सीधी दिशा में होती हैं, विमानों के उड़ान भरते व उतरते समय चालकों के आंख को चौंधिया सकती हैं।

इससे विमान चालकों को भटकने का खतरा बना रहता है। एयरपोर्ट के किनारे बने होटलों को नेशनल ग्रीन टिब्यूनल ने इसलिए सील किया था, क्योंकि इससे एयरपोर्ट का पर्यावरण दूषित हो रहा था।

क्षेत्र के जिला अधिकारी ने भी एयरपोर्ट के समीप फार्म हाउसों, वाटिका और बैंक्वेट हाल में प्रयोग की जा रही लेजर लाइटों को विमानों के लिए खतरा बताया था। मई में ही बंद करने के दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन नवंबर में शादियां शुरू होते ही एक बार फिर से फार्म हाउस, बैंक्वेट हॉल और वाटिका लेजर लाइटों से जगमगाने लगी हैं।

बिना लाइसेंस चल रहीं वाटिका

दैनिक जागरण को मिले रिकार्ड के मुताबिक एयरपोर्ट के समीप द्वारका समालका मार्ग पर कृषि योग्य भूमि पर ग्रीन आर्चिड वाटिका को चलाने के लिए अभी तक लाइसेंस नहीं मिला है, फिर भी हर रोज यहां पर शादियां होती हैं। यहां की पार्किंग गाड़ियों से भरी रहती है।

शाम होते ही इस परिसर से लेजर लाइटें आकाश में चमकने लगती हैं। सड़क किनारे जमीन कम है इसलिए दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इन सड़कों के किनारे छोटे-छोटे मोटल बनाने का निर्णय लिया था, लेकिन रजोकरी व कापसहेड़ा मार्ग पर भारी भरकम अशोका रिसोर्ट चल रहा है। लेजर लाइटें इस इलाके में भी चमक रही हैं।

कापसहेड़ा में एक कैपिटल रिसोर्ट भी अस्तित्व में आ चुका है। यहां पर जगह की कमी है ऐसे में यहां बने नाले के कुछ भाग पर अतिक्रमण कर प्रवेश मार्ग को चौड़ा कर लिया गया है। अब पूरे नाले को घेरकर कब्जा करने की तैयारी हो चुकी है। शादियां यहां भी हो रही हैं।

इसी तरह से एयरपोर्ट के समीप कृषि योग्य भूमि पर किसानों को 180 के दिन के लिए अस्थायी निर्माण कर व्यवसाय करने की अनुमति जिला प्रशासन ने दी थी। अब इस जगह पर स्थायी निर्माण कर बैंक्वेट हॉल, वाटिका और रिसोर्ट चलाने की अनुमति निगम ने दे दी।

शादी समारोहों के दौरान इन जगहों से निकली लेजर लाइटें एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले व रन वे पर उतरने वाले विमानों के लिए खतरा साबित हो सकरी हैं।


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