पत्रकार हत्याकांड : पुलिस को मिला सुराग, अभी तक नहीं हुई CCTV डाटा रिकवरी
हाल ही में हुए पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में घटनास्थल के पास सीसीटीवी कैमरे के फुटेज हासिल न होने से पुलिस की परेशानी बढ़ गई है। घटना के बाद इस कैमरे की हार्डडिस्क बाहर भेजकर पुलिस यह मान रही थी कि डाटा रिकवरी के बाद उसे खास सबूत हाथ लगेंगे।
सिवान। हाल ही में हुए पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में घटनास्थल के पास सीसीटीवी कैमरे के फुटेज हासिल न होने से पुलिस की परेशानी बढ़ गई है। घटना के बाद इस कैमरे की हार्डडिस्क बाहर भेजकर पुलिस यह मान रही थी कि डाटा रिकवरी के बाद उसे खास सबूत हाथ लगेंगे, लेकिन पहले पटना और फिर गुडग़ांव में जांच के बाद बताया।
गया कि फुटेज की रिकवरी नहीं हो पाई है। पुलिस ने अब इसे हैदराबाद रिसर्च सेंटर भेजा है। इस बीच पता चला है कि पुलिस ने कांड में एक संदिग्ध की पहचान की है, उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
पुलिस सूत्रों का मानना है कि अगर सीसीटीवी कैमरा के नष्ट फुटेज की रिकवरी होती भी है तो उससे कुछ साफ नहीं हो पाएगा, क्योंकि घटनास्थल पर उस समय काफी अंधेरा था। अंधेरे में लोगों को पहचानने की सीसीटीवी कैमरे की कैपेसिटी 20 मीटर तक ही है, जबकि घटनास्थल से कैमरे की दूरी 50 मीटर से अधिक है।
उल्लेखनीय है कि श्रीकांत भारतीय हत्याकांड में पुलिस सीसी कैमरे के फुटेज से अपराधियों तक पहुंच गई थी। लेकिन, तब कैमरा जहां लगा था वहां काफी उजाला था। इससे होटल में बार-बार आने और जाने से चवन्नी उर्फ मोनू की पहचान हो सकी थी।
जेल में कैसे पहुंचे इतने मोबाइल
इस बीच मंडल कारा में शुक्रवार की रात और शनिवार की दोपहर हुई छापेमारी के बाद बड़े पैमाने पर मोबाइल और सिम की बरामदगी से कारा की सुरक्षा पर फिर सवाल उठ रहे हैैं। आखिर इतने मोबाइल भीतर कैसे पहुंचे? इनका इस्तेमाल कौन करता था?
विदित हो कि पत्रकार राजदेव हत्याकांड के दिन हत्या के पहले सिवान जेल से घटनास्थल पर किसी को 36 कॉल किए गए थे।पुलिस सिवान कारा से मिले मोबाइल व सिम से उस हत्याकांड का सुराग खंगालने में भी लगी है। पुलिस ने जब्त 20 सिम के सीडीआर निकालने की कवायद तेज कर दी है।
उधर मंडल कारा अधीक्षक विधु भारद्वाज ने बताया कि जेल की रूटीन जांच के साथ समय-समय पर गहन जांच जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि 17 सिम वार्ड के बगल में शौचालय, गड्ढ़े और जेल परिसर की झाडिय़ों से मिले थे। किसी वार्ड या कैदी के पास से मोबाइल मिलने का उन्होंने खंडन किया।