यूपी में चमका अवैध असलहों का कारोबार
लखनऊ(आनन्द राय)। तस्कर पुलिस, माफिया और लाइसेंसी शस्त्र के साथ विक्रेताओं के गठजोड़ से अव
लखनऊ(आनन्द राय)। तस्कर पुलिस, माफिया और लाइसेंसी शस्त्र के साथ विक्रेताओं के गठजोड़ से अवैध असलहों के कारोबार ने यूपी में अपनी गहरी जड़े जमा दी हैं। इसका नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैल चुका है। तस्करों ने शस्त्र विक्रेताओं की मदद से वैध-अवैध का फर्क मिटा दिया है। इसमें सर्वाधिक मददगार शस्त्र विक्रेताओं के कारीगर हैं।
एटीएस ने इसका राजफाश अप्रैल में किया। तभी से लगातार गिरफ्तारी हो रही और नए राज उजागर हो रहे हैं। यह पता चला कि कनाडा व सिंगापुर से विदेशी शस्त्रों के पार्ट्स लाकर उसका निर्माण व फिनिशिंग शस्त्र विक्रेताओं के सर्विस सेंटरों में होती थी। फिर भारी दाम पर बेच दिया जाता। पुलिस के मुताबिक लखनऊ के नेशनल गन हाऊस से ही महज डेढ़ वर्ष में सौ से अधिक विदेशी शस्त्र अवैध ढंग से बनाये और बेचे गये हैं।
---------
अवैध को ऐसे बनाते वैध
गिरफ्तार खालिद और रमजान समेत कई कारीगरों ने बताया कि पुर्जे मंगाने के बाद यहां लोहे की सरिया, प्लेट, तार लाकर कानपुर के बरेली गन हाऊस में ईडीएम एवं सरफेसिंग ग्राइंडिंग मशीनों से तैयार कराने के बाद लखनऊ के लाटूस रोड के नेशनल गन हाउस में विदेशी पिस्टलों की फोटो व कैटलाग देखकर उनकी सेटिंग, फिनिशिंग व पालिसिंग करते थे। फिर कानपुर में ही पेंटोग्राफी मशीन के माध्यम से विदेशी पिस्टलों पर अंकित विवरण को कंप्यूटर से ट्रेसिंग पेपर तैयार कराकर उसका लोहे की चादर पर ब्लॉक्स बनवाते और फिर शस्त्रों पर उनका नाम, मेक, नंबर और बोर अंकित कराते थे। फिर इनको लाइसेंस धारकों के लाइसेंसों से विक्रेताओं के अभिलेखों में हेरफेर कर उनका इंद्राज कर लेते थे।
--------
अंतरराज्यीय नेटवर्क
यह खेल मुंबई के शिवानंद शेट्टी और एल्विन डीसा ने शुरू किया। एल्विन पकड़ा गया। फिर हरियाणा का अनिल जैन व कानपुर का शस्त्र विक्रेता अमित पाल पकड़ा गया। उधर, मध्यप्रदेश की जहांगीराबाद की पुलिस ने अवैध हथियारों के एक तस्कर ओमेर मलिक को गिरफ्तार किया। फतेहपुर की खागा तहसील के मलिक ने भी पूछताछ में यूपी के एक पूर्व मंत्री को इसमें लिप्त बताया। खंडवा का वीरपाल, मुंगेर का फिरोज, ग्वालियर का अशोक अग्रवाल और हिमांचल प्रदेश के मनवीर कैथू जैसे शस्त्र विक्रेता भी शामिल हैं।
-------------
धंधे में हिस्सेदार पुलिस
जून में हमीरपुर में तीन पुलिसकर्मी पकड़े गये। इनके कब्जे से भारी मात्रा में अवैध असलहे बरामद हुए। इनके तार तस्कर व नक्सलियों से जुड़े थे। दो साल पहले तो पुलिसकर्मियों के नक्सलियों को कारतूस व असलहा सप्लाई का बड़ा नेटवर्क सामने आया था। दो वर्ष पहले प्रदेश के शस्त्रागारों में तैनात 11 आरक्षी पकड़े गये। तब कारतूसों और शस्त्रों की हेराफेरी पाई गयी। यह पता चला कि इन शस्त्रों और कारतूसों को तस्करों के जरिए नक्सलियों को भेजा जा रहा है।
------------
यूपी में भी बनते हैं असलहे
यूपी में भी कई जगह असलहों की फैक्ट्री पकड़ी गयी। मार्च में संभल के सरायतरीन में अवैध तमंचों की फैक्ट्री पकड़ी गयी तो 315 बोर के करीब 75 तमंचे, 30 अर्द्धनिर्मित और सैकड़ों नालें बरामद हुई।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर