इतिहास गवाह है अमर सिंह जहां भी रहे घर ही तोड़ते रहे
अमर जिनके साथ रहे हैं, उनका घर टूटा है। बच्चन परिवार के अलावा अंबानी भाईयों में भी बंटवारा कराया। अब यही 'समाजवादी परिवार' के साथ भी हो रहा है। हो सकता है ये महज संयोग हो।
लखनऊ [अाशीष मिश्र]। समाजवादी पार्टी की महामीटिंग में जिस तरह से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुले आम अमर सिंह को दलाल कहने के साथ उन्हें पिता और बेटे के बीच का साजिशकर्ता करार दिया। इसके बाद अमर सिंह के बारे में घर तोड़ने जैसी छवि की अफवाह को एक बार फिर से हवा मिल गई है। कहा जाता है कि अमर जिनके साथ रहे हैं, उनका घर टूटा है। बच्चन परिवार के अलावा अंबानी भाईयों में भी बंटवारा हो गया है। अब यही 'समाजवादी परिवार' के साथ भी हो रहा है। लेकिन ये भी हो सकता है ये महज संयोग की ही बात हो।
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साठ साल के अमर सिंह भारतीय राजनीति में किसी फिल्मी कहानी की तरह है। वे एक दौर में समाजवादी पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता रहे, फिर पार्टी से बाहर कर दिए गए और अब एक बार फिर उन्होंने जोरदार वापसी की है। इस दौरान गंभीर बीमारी और राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले जाने के चलते वे कुछ समय तक राजनीतिक पटल से ग़ायब ज़रूर हुए लेकिन एक बार फिर वो अपने पुराने रंग में लौटते दिख रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर अमर सिंह में ऐसा क्या है जिसके चलते मुलायम सिंह का उन पर भरोसा बना हुआ है और आज तो उन्होंने अमर सिंह के लिये उत्तर प्र मुख्यमंत्री और अपने बेटे तक को औकात बता दी।
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राज बब्बर को बाहर किया
एक वक्त था जब राज बब्बर सपा पार्टी में बहुत बड़ा चेहरा हुआ करते थे, आज कांग्रेस के स्टार नेता और यूपी में कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने वाले राजबब्बर ने अमर सिंह को दलाल कहकर संबोधित किया था क्योंकि अमर सिंह के प्रेम में पड़कर मुलायम ने उनके प्रति कड़ा रूख अपना लिया था जिसके कारण राजबब्बर ने दुखी मन से सपा परिवार को छोड़ा था, वो परिवार जो कभी उनकी पहचान हुआ करता था। पार्टी छोड़ने के बाद राज बब्बर ने सारा दोष अमर सिंह पर मढ़ा था।
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अंबानी परिवार में बंटवारा
खुद को धीरूभाई अंबानी का दोस्त बताने वाले अमर उनकी मौत के बाद अंबानी बंधुओं की आपसी रार में भी शामिल रहे। पेट्रोलियम कारोबार के बंटवारे को लेकर चल रही रस्साकशी के दौर में अमर मध्यस्थ की भूमिका में थे। वजह तत्कालीन केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सचिव से बेहतर रिश्ते होना था। बाद में बवाल बढ़ा, तो अमर अनिल अंबानी के पाले में खड़े हुए। अनिल की मुलायम के साथ बैठकी भी अमर ने कराई और समाजवादियों को फिल्म इंडस्ट्री के बाद कॉर्पोरेट से भी जोड़ा। मुलायम सरकार में अनिल अंबानी ने दादरी और रोजा में पावर प्लांट की डील भी की। बाद में अनिल और मुकेश अंबानी ने अपने मतभेदों को कम कर कारोबार में समझौते की ओर कदम बढ़ाया, तो सबसे पहले अमर किनारे किए गए।
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अमिताभ का घर तोड़ने की कोशिश
90 के दशक में अमिताभ बच्चन जब अपने करियर के बुरे दौर में थे और उनकी कंपनी ABCL दिवालिया हो चुकी थी, तब अमर सिंह संजीवनी बनकर आए। खुद अमर सिंह कहते हैं कि जब बड़े कॉर्पोरेट घरानों ने अमिताभ की मदद करने से इनकार कर दिया था तब उन्होंने अमिताभ को डूबने से बचाया था। सहारा ग्रुप के मालिक सुब्रत राय से अमर ने अमिताभ की दोस्ती कराई। अमिताभ का ग्लैमर सहाराश्री के काम आया और सहाराश्री का पैसा अमिताभ के। इन दोनों के ही कद को कॉर्पोरेट डीलर से सियासी लीडर बनने में अमर ने भुनाया। हालांकि 2010 में सपा से बगावत में जब बच्चन परिवार अमर के साथ खड़ा नहीं हुआ, तो याराना दुश्मनी में बदल गया। अमर को उम्मीद थी कि उनके साथ जया बच्चन भी सपा छोड़ेंगी, लेकिन इसके उलट जया ने अमर को निशाने पर ले लिया। लिहाजा अमिताभ-जया अब अक्सर अमर के निशाने पर रहते हैं।
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अखिलेश और प्रतीक के बीच में दूरियां
मुलायम के दोनों बेटे अखिलेश और प्रतीक के बीच की दूरियों का कारण भी अमर सिंह ही कहे जाते हैं। कहा जाता है कि दोनों के मिजाज में काफी अंतर है और इस अंतर को दूर करने के बजाय उसे बढ़ाने का काम अमर सिंह करते आये हैं और इसी वजह से किसी भी सार्वजनिक मंच पर अखिलेश अपने छोटे भाई प्रतीक की ना तो बात करते हैं और ना ही जिक्र। अखिलेश के बारे में ये भी कहा जाता है कि वो अमर सिंह से भी बातें नहीं करते।
शिवपाल के पीछे अमर सिंह का दिमाग
अमर सिंह की वापसी शिवपाल खेमे के कारण हुई थी लेकिन वापसी के बाद अमर सिंह को पार्टी में वो जगह नहीं मिली जो उनकी पहले हुआ करती थी। उन्होंने दो-तीन बार दबी जुबान में ये बातें कही भी। अभी कुछ दिन पहले ही अमर ने राज्यसभा से इस्तीफे की धमकी तक दे डाली थी। रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव के बयानों से तो लग रहा है कि शिवपाल यादव को भड़काने का काम अमर सिंह ने ही किया है इसलिए शिवपाल के बोल भले ही उनके हों लेकिन वो जो कुछ भी जहर उगल रहे हैं उसके पीछे अमर सिंह का ही दिमाग है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक इससे पहले भी अमर सिंह ने ये बयान देकर पार्टी के अंदर ही लॉबिंग करने की कोशिश की थी कि पार्टी के अंदर बलराम यादव, शिवपाल यादव और मेरा अपमान किया जा रहा है।