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हरदा जेल में 10 सजायाफ्ता कैदियों के भरोसे जेल की सुरक्षा

पड़ोसी जिला खंडवा की जेल से कैदियों के भागने की घटना के बाद भी जेल विभाग जेल की सुरक्षा में गंभीरता नहीं बरत रहा है। सुरक्षाकर्मियों के अभाव में जिला जेल की सुरक्षा का जिम्मा कैदियों के सुपुर्द ही है। जिला जेल में 10 सजायाफ्ता कैदी सुरक्षा के लिए तैनात

By Manoj YadavEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2015 11:50 AM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2015 11:54 AM (IST)
हरदा जेल में 10 सजायाफ्ता कैदियों के भरोसे जेल की सुरक्षा

हरदा [लोमेश कुमार गौर] पड़ोसी जिला खंडवा की जेल से कैदियों के भागने की घटना के बाद भी जेल विभाग जेल की सुरक्षा में गंभीरता नहीं बरत रहा है। सुरक्षाकर्मियों के अभाव में जिला जेल की सुरक्षा का जिम्मा कैदियों के सुपुर्द ही है। जिला जेल में 10 सजायाफ्ता कैदी सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं। जेल की क्षमता महज 90 कैदियों को रखने की है, लेकिन जेल में 190 कैदियों रखा गया है। पिछले रविवार से यहां पर महिला कैदियों को भी रखा जाने लगा है। शुरूआत में खंडवा जिला जेल से 11 महिला कैदियों को हरदा में शिफ्ट किया गया।

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जानकारी के अनुसार जिला जेल में प्रहरियों की संख्या कम होने के कारण जेल प्रशासन को सुरक्षा के लिए कैदियों की मदद लेना पड़ती है। यहां पर प्रहरियों के पद 28 स्वीकृत हैं, जबकि पदस्थ महज 13 ही हैं। ऐसे में जेल प्रशासन के सामने समस्या है कि जेल की सुरक्षा के लिए क्या करे? उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए ऐसे सजायाफ्ता कैदियों का चयन किया, जिनका रिकार्ड ठीक है और कोई गड़बड़ी नहीं कर सकते।

मालूम हो कि पड़ोसी जिला खंडवा की जेल से सिमी के आतंकी सुरक्षा में सेंध लगाकर भाग गए थे। हरदा जिला जेल में भी कई गंभीर अपराधों में संलिप्त अपराधी हैं। ऐसे में सवाल यह है कि सुरक्षा के लिए जेल विभाग को स्वीकृत पदों के अनुसार प्रहरियों की पदस्थापना करना चाहिए। जिससे कि जेल प्रशासन को सुरक्षा के लिए कैदियों की मदद नहीं लेना पड़े। जिला जेल बने को करीब 8 माह हो गए, लेकिन अब तक सीसीटीवी की व्यवस्था भी नहीं की गई है।

स्वीकृत प्रहरी 28, पदस्थ 13

हरदा की उपजेल को 8 अप्रैल को जिला जेल का दर्जा मिला है। जिसके तहत् यहां पर अधीक्षक, उपअधीक्षक और सहायक अधीक्षक के पद स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें सिर्फ उपअधीक्षक के पद पर आईएस नागर पदस्थ हैं, शेष दोनों पद रिक्त हैं। उपजेल के समय यहां पर 16 प्रहरी और 3 मुख्य प्रहरी का पद स्वीकृत था, जबकि जिला जेल बनने के बाद संख्या बढ़कर 28 और 4 हो गई। खास बात यह है कि पद तो स्वीकृत कर दिए, लेकिन पदस्थापना नहीं की गई। वर्तमान में यहां पर 13 प्रहरी और 4 मुख्यप्रहरी पदस्थ हैं। कैदियों की संख्या बढ़ने के बाद प्रहरियों की संख्या भी बढ़ाना जरूरी है। उपजेल के समय से कैदियों को रखने के लिए बैरक भी 4 हैं। उपअधीक्षक जेल श्रीनागर ने लोकनिर्माण विभाग से डबल मंजिल दो बैरक बनवाने का प्रस्ताव मांगा है।

अब महिलाएं भी रहेंगी जेल में

अब तक हरदा जिले की महिला अपराधियों को होशंगाबाद, खंडवा या भोपाल भेजा जाता रहा है, लेकिन अब जिला जेल में महिला कैदियों को भी रखा जाने लगा है। रविवार को खंडवा जिला जेल से 11 महिला कैदियों को हरदा जिला जेल में भेजा गया है। हरदा में महिला वार्ड का निर्माण तो काफी पहले हो गया था, लेकिन महिला प्रहरी नहीं होने के कारण यहां पर महिला कैदियों को नहीं रखा जाता था। रविवार को खंडवा से आई महिलाओं को आज मंगलवार को जिला अस्पताल में मेडिकल चेकअप किया जाएगा।


प्रहरियों की संख्या कम होने के कारण 10 सजायाफ्ता कैदियों को जेल की सुरक्षा में लगाया गया है। इसमें वही कैदी शामिल हैं, जिनका रिकार्ड अच्छा है।

आईएस नागर, उपअधीक्षक जेेल हरदा


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