मम्मी-पापा ही नहीं चाहते कम हो 'पप्पू' के बस्ते का बोझ
पप्पू-मुन्नी के बस्ते का बोझ कम करने के मुद्दे पर दिल्ली सरकार को मम्मी-पापा ने जोरदार झटका दिया है। बस्ते का बोझ कर करने के लिए मम्मी-पापा ही तैयार नहीं हैं।
नई दिल्ली। पप्पू-मुन्नी के बस्ते का बोझ कम करने के मुद्दे पर दिल्ली सरकार को मम्मी-पापा ने जोरदार झटका दिया है। बस्ते का बोझ कर करने के लिए मम्मी-पापा ही तैयार नहीं हैं।
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यही वजह है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में 25 फीसद तक की कटौती कर विद्यार्थियों के बस्ते के बोझ को कम करने में जुटी दिल्ली सरकार की कोशिशें अभिभावकों को नागवार गुजर रही हैं।
अगले महीने से कम हो जाएगा बस्ते को बोझ
इस विषय में ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिशन ने ये कहते हुए ऐतराज जताया है कि यदि पाठ्यक्रम में कटौती की गई तो स्कूलों को मिली केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की संबद्धता ही खतरे में पड़ जाएगी। इसके बिना उनकी पढ़ाई का महत्व ही क्या रह जाएगा?
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एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि सीबीएसई की ओर से निर्धारित मानकों के तहत संबद्धता के लिए राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) का पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाया जाना जरूरी है।
ऐसे में यदि सरकार इसमें कटौती करती है तो नियमों के अनुसार स्कूलों की संबद्धता खतरे में पड़ जाएगी, जोकि छात्र हित में नहीं होगा। इसके अलावा चिंता इस बात को लेकर भी है कि सरकारी व पब्लिक स्कूलों में असमानता की खाई गहरी हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में हमने दिल्ली सरकार से भी अपने कदम को वापस लेने की अपील की है। सीबीएसई व एनसीईआरटी से भी मांग की है कि वे छात्रहितों व उनके भविष्य को देखते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करें।
...तो अलग होगी दिल्ली में पढ़ाई
यदि दिल्ली सरकार अपने प्रयास में कामयाब हो जाती है तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों, केंद्रीय विद्यालयों व सहित शेष भारत के स्कूलों में हो रही पढ़ाई अलग हो जाएगी।
यानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जा रहा पाठ्यक्रम अन्य स्कूलों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम से अलग होगा। इससे विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा का मार्ग भी अवरुद्ध होगा।