डिस्काउंट-फ्री नहीं दिखाया तो भरना होगा टैक्स
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : डिस्काउंट-फ्री जैसे जुमले अब सुनने को शायद नहीं मिलेंगे, क्यों
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
डिस्काउंट-फ्री जैसे जुमले अब सुनने को शायद नहीं मिलेंगे, क्योंकि जीएसटी में इस पर सख्त नियम है। यदि आप डिस्काउंट या फ्री देते हैं और उसे सेल रिटर्न में नहीं दिखाया तो वस्तु के पूरे मूल्य पर विक्रेता को ही टैक्स देना होगा। लिहाजा आप ग्राहक को जो भी छूट देते हैं, उसे रिटर्न में दर्ज करें, वरना तीन साल बाद ऑडिट में आपके खाते से सूद समेत वसूल लिया जाएगा।
ये बातें टाटा स्टील के हेड (लीगल सर्विसेज) विकास मित्तल ने शनिवार को कहीं। साकची स्थित वाणिज्य कर भवन में जमशेदपुर कमर्शियल टैक्स बार एसोसिएशन की कार्यशाला में मित्तल ने विशेष रूप से 'ट्रांजिशनल वैल्यू' और 'जॉब वर्क' के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि आप 100 रुपये का कोई गिफ्ट आइटम खरीदते हैं और दुकानदार उसकी पैकिंग फ्री देता है, तो पैकिंग मैटेरियल का टैक्स दुकानदार को भरना होगा। बेहतर होगा कि वह उत्पाद के साथ पैकिंग मैटेरियल का मूल्य भी दिखाए और ग्राहक से ले। जॉब वर्क पर मित्तल ने कहा कि एक वर्ष से अधिक यदि कोई मैटेरियल जॉब वर्कर के पास रह गया, तो जीएसटी में मान लिया जाएगा कि प्रिंसिपल पार्टी ने जॉब वर्कर को वह माल बेच दिया है। ऐसे में उस माल के मूल्य का टैक्स प्रिंसिपल पार्टी से ले लिया जाएगा, यदि जॉब वर्कर अनरजिस्टर्ड डीलर है।
कार्यशाला में वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त (अपील) अजय कुमार सिन्हा व नागरीय अंचल के उपायुक्त सीएल शर्मा, बार एसोसिएशन के चेयरमैन मुरलीधर केडिया, अध्यक्ष खजांचीलाल मित्तल, मानव केडिया, राजीव अग्रवाल, राजेश मित्तल, संतोष शर्मा समेत कई कर अधिवक्ता उपस्थित थे।