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30 रुपये रिश्वत न देने पर गई मासूम की जान, भ्रष्टाचार का सरकारी अस्पताल!

बहराइच जिले के एक सरकारी अस्पताल में गरीब महिला ने कड़वा सच देखा। यहां पर एक महिला से उसके बच्चे के इलाज के लिए रुपये मांगे गये।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2016 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2016 05:01 PM (IST)
30 रुपये रिश्वत न देने पर गई मासूम की जान, भ्रष्टाचार का सरकारी अस्पताल!

लखनऊ (वेब डेस्क)। उत्तर प्रदेश सरकार का मुफ्त इलाज का दावा सिर्फ कागजों पर है। कम से कम बहराइच में तो ऐसा नहीं है। अगर मुफ्त दवा और इलाज की सुविधा होती तो हर कदम पर कीमत अदा करने के बाद भी महिला को अपना नौ माह का पुत्र न गंवाना पड़ता।

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बहराइच जिले के एक सरकारी अस्पताल में गरीब महिला ने कड़वा सच देखा। यहां पर एक महिला से उसके बच्चे को इंजेक्शन लगाने के एवज में 20 रुपये, बेड पर लिटाने के लिए 30 रुपये तथा बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने के लिए सौ रुपये मांगे गये।

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महिला बेहद गरीब थी, इसके बाद भी उसने 'कलयुग के भगवन' की मांगों को पूरा किया। इसमें उसको थोड़ा समय लग गया। इसके कारण उसके नौ महीने के पुत्र की मौत हो गई। उधर डॉक्टरों का दावा है कि बच्चे का पूरा इलाज किया गया है।

बहराइच जिले के सरकारी अस्पताल में एक गरीब आदमी से उनके नौ महीने के बच्चे के इलाज के लिए हर कदम पर पैसे की मागं की गई। वहां इंजेक्शन लगाने के 20 रुपये, बच्चे को बेड पर लिटाने के 30 रुपये और बच्चे को भर्ती करने के लिए सौ रुपये मांगे गए जबकि सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ्त होता है।

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सारा पैसा देने के बाद भी बच्चा मर गया। अब आरोपी स्टाफ़ को ड्यूटी से हटा कर मामले की जांच की जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि जितनी दवा और इंजेक्शन की जरूरत थी, सब दिए गए हैं, लेकिन बच्चा सिर्फ 9 महीने का था और उसकी हालत नाजुक थी, जिससे उसकी मौत हो गई।

बहराइच अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ओपी पांडे से जब मौत की वजह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बच्चे को एंटीबायोटिक सुबह-शाम दी गई थी। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर ओ पी पाण्डेय ने गलत इंजेक्शन लगाये जाने की बात से इनकार करते हुए कहा कि वह एंटीबायोटिक इंजेक्शन था, जिसे लगाने से कोई नुकसान नहीं होता है, हालांकि उन्होंने मामले की जांच के लिये तीन चिकित्सकों का पैनल गठित कर दिया है। उन्होंने बताया कि आरोपी नर्स को वार्ड से हटा दिया गया है और रिश्वत लेने के आरोपी सफाईकर्मी को बर्खास्त कर दिया गया है। इस बीच यूपी के हेल्थ मिनिस्टर एसपी यादव ने कहा है कि जिलाधिकारी को मामले जांच के आदेश दे दिए गए हैं दोषियों के लिए खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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एंटीबायोटिक लगाने में कोई देरी नहीं हुई। बच्चे के पिता की शिकायत यह है कि उससे भर्ती करने के लिए और बिस्तर देने के लिए पैसा मांगा गया। बच्चे के पिता शिवदत्त ने कहा कि यहां पर हर स्टाफ पैसा मांगता है। डॉक्टर को हटा कर बाकी जितने हैं, सब पैसा मांगते हैं, क्योंकि उनका प्राइवेट क्लीनिक भी है। वहां से बहुत पैसा आ जाता है। वहां पर दो से तीन सौ मरीज वह देखते हैं।


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