मंडी परिषद में इशारे पर करोड़ों रुपए का डायवर्जन
लखनऊ(राब्यू)। । बसपा सरकार में स्मारक निर्माण में मंडी परिषद निधि लगाने वाले अधिकारी फिर इसक
लखनऊ (राब्यू)। बसपा सरकार में स्मारक निर्माण में मंडी परिषद निधि लगाने वाले अधिकारी फिर इसकी राशि इधर-उधर करने में सक्रिय हैं। नियम कायदों की अनदेखी कर कृषि मंडी परिषद और समिति कर्मचारियों के लिए निधि से 450 करोड़ रुपये सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए आवंटित कर दिए गए।
उत्तार प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम में की धारा-19 के तहत मंडी समितियों से प्राप्त अंशदान को परिषद निधि, उप्र राज्य मंडी विकास निधि और केंद्रीय मंडी विकास निधि के मद में जमा किया जाता है। इन तीनों मद में प्राप्त अंशदान का 80 फीसद उप्र मंडी विकास निधि, 20 फीसद परिषद निधि और दोनों मद की राशियों को जोड़कर आधा फीसद केंद्रीय मंडी विकास निधि में अलग से जमा किया जाता है। जमा राशि को निर्धारित निधियों में ही खर्च करने की व्यवस्था है। इसके तहत परिषद निधि की राशि कर्मचारियों के वेतन, छुट्टी भत्ता, एरियर, ऋण भुगतान, भविष्य निधि, पेंशन और कर्मचारी हित के लिए निर्धारित है लेकिन, 31 मई को मंडी बोर्ड के संचालक मंडल ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता वाली बैठक में 450 करोड़ रुपये जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना, निर्यात फैसिलीटेशन योजना, मैंगो पैक हाउस, छात्रवृत्तियोजना, कृषि विपणन निदेशालय शोध अनुसंधान सरीखी योजनाओं के लिए डायवर्ट करने पर मुहर लगा दी।
कर्मचारियों का कहना है कि नियमत: यह डायवर्जन नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और खुद सरकार ने भी आदेश दे रखे हैं। सरकार को अपनी योजनाओं को चिंता है लेकिन कर्मचारी हितों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। मंडी परिषद के कर्मचारी खुद की निधि में करोड़ों रुपये उपलब्ध होने के बावजूद वर्षो से पांचवें और छठे वेतनमान के एरियर के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सुनिश्चित करियर प्रोन्नयन भी नहीं मिल सका है। सैकड़ों कर्मचारियों को नियमित किए जाने का इंतजार हैं।