देश के इकलौते निजी संग्रहालय मे लगा ताला
देश मे अब तक जितने भी सार्वजनिक संग्रहालय है, वे सरकार के अधीन चलते है। जमशेदपुर का क्वाइन म्यूजियम देश का इकलौता संग्रहालय है। अफसोस की बात है कि इस संग्रहालय मे पिछले करीब आठ माह से ताला लगा है।
वीरेद्र ओझा, जमशेदपुर। देश मे अब तक जितने भी सार्वजनिक संग्रहालय है, वे सरकार के अधीन चलते है। जमशेदपुर का क्वाइन म्यूजियम देश का इकलौता संग्रहालय है, जिसका संचालन टाटा स्टील व जुस्को के सहयोग से जमशेदपुर क्वाइन कलेक्टर्स क्लब करता है। अफसोस की बात है कि इस संग्रहालय मे पिछले करीब आठ माह से ताला लगा है। इसके संस्थापक सचिव कल्याण गुहा का निधन होने के बाद से संग्रहालय की गतिविधियां बंद हो गई है। क्लब के अध्यक्ष जुस्को के प्रबंध निदेशक आशीष माथुर है, जबकि स्व. गुहा के स्थान पर पी. बाबू राव नये सचिव बनाए गए है। राव ने बताया कि संग्रहालय के क्वार्टर मे गुहा रहते थे। फिलहाल यह क्वार्टर खाली है। क्लब प्रबंधन जून से इसे खोलने की व्यवस्था कर रहा है।
राव बताते है कि इस संग्रहालय मे भारत मे अब तक के प्रचलित लगभग सभी सिक्के है, जिसमे बार क्वाइन या छड़नुमा सिक्के भी है। पंच क्वाइन भी है, जो विभिन्न रजवाड़े धातु के टुकड़े मे सिर्फ छेद करके चलाते थे। इसके अलावा देश के विभिन्न राजे-रजवाड़ो (प्रिसली स्टेट) द्वारा चलाए गए सिक्को के अलावा मध्ययुगीन, मुगलकालीन, ब्रिटिश क्वाइन के साथ-साथ गुप्तकाल के स्वर्ण सिक्के भी है। राव बताते है कि शायद इसी काल मे भारत को 'सोने की चिडि़या' कहा जाता था। संग्रहालय घूमने के लिए बड़ो से 10 रुपये व स्कूली छात्रो से पांच रुपये लिए जाते थे। हर सिक्का एक अलग कहानी समेटे हुए है। अलग-अलग स्थान व काल के सिक्को मे उस वक्त की संस्कृति का परिचय मिलता है, जो काफी रोचक है।
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एक्सएलआरआइ मे बनी थी योजना
इस संग्रहालय की परिकल्पना छह मार्च 1994 को की गई थी। एक्सएलआरआइ के एक क्लासरूम मे प्राचीन व दुर्लभ सिक्को के तीन शौकीन स्व. कल्याण गुहा, स्व. जीएन टांक व एके भट्ट ने यूमिसमेटिक सोसाइटी का गठन किया था। बाद मे टाटा स्टील के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ. जेजे ईरानी व पूर्व डिप्टी एमडी डॉ. टी. मुखर्जी के साथ जुस्को के पूर्व जीएम कंवल मिधा ने जमशेदपुर क्वाइन कलेक्टर्स क्लब को मूर्तरूप दिया। टाटा स्टील ने साकची स्थित स्ट्रेटमाइल रोड के एक क्वार्टर को क्वाइन म्यूजियम का भवन बनवाया, जिसका उद्घाटन 29 मार्च 2009 को टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक एचएम नेरुरकर ने किया। यह टाटा स्टील की ओर से शताब्दी वर्ष पर शहरवासियो को तोहफे के रूप मे दिया गया था। क्लब द्वारा वर्ष 1996 से राष्ट्रीय स्तर की सिक्का प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है।