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बिहार चुनाव : महागठबंधन के प्रति अब गंभीर नहीं समाजवादी पार्टी

बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा विरोधी 'महागठबंधन' को अपना समर्थन देने पर समाजवादी पार्टी अभी गंभीर नहीं है। इसका संकेत परसों की स्वाभिमान रैली में ही देखने को मिल गया था। इसमें अन्य पार्टियों के दिग्गज शामिल थे, लेकिन सपा के मुखिया ने इससे किनारा कर लिया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 01:02 PM (IST)
बिहार चुनाव : महागठबंधन के प्रति अब गंभीर नहीं समाजवादी पार्टी

लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा विरोधी 'महागठबंधन' को अपना समर्थन देने पर समाजवादी पार्टी अभी गंभीर नहीं है। इसका संकेत परसों की स्वाभिमान रैली में ही देखने को मिल गया था। इसमें अन्य पार्टियों के दिग्गज शामिल थे, लेकिन सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इससे किनारा कर लिया था।

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सपा की महागठबंधन को समर्थन देने की बाबत आज लखनऊ में संसदीय बोर्ड की बैठक को भी टाल दिया गया है। गौरतलब है सपा बिहार में सिर्फ पांच सीट मिलने से खुश नहीं है। समाजवादी उत्तर प्रदेश व बिहार की सीमा पर बिहार की सभी विधानसभा सीट पर चुनाव लडऩा चाहती है।

बीते लोकसभा चुनाव के बाद बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा विरोध पार्टियों ने एक महागठबंधन बनाया है। इसमें समाजवादी पार्टी को भी शामिल किया गया है। लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद 'जनता परिवार' में एका की मुहिम को लगता है कि समाजवादी पार्टी से झटका मिलेगा। सपा संसदीय बोर्ड ने अब बिहार के मामले में कोई भी निर्णय पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव पर छोड़ दिया है।

लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद 'जनता परिवार' में एका की मुहिम शुरू हुई थी। मुलायम सिंह यादव को परिवार का मुखिया चुन लिया गया। कई दौर की चर्चा के बाद नीति-रीति भी बन गई, लेकिन साझा झंडा और चुनाव चिन्ह पर अड़ंगा लगना शुरू हो गया। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के रणनीतिकार से लेकर जिलाध्यक्ष तक 'साइकिल' चिह्न् ही चाहते थे जबकि बिहार में राजद व जनता दल (यूनाइटेड) अपना-अपना चुनाव चिह्न् छोडऩे को राजी नहीं थे, जिसके बाद एका की कोशिशों को झटका लगा था। बिहार विधानसभा के चुनाव की बेला में महागठबंधन ने समाजवादी पार्टी को सिर्फ तीन सीटें दीं। लालू यादव ने अपने कोटे में से दो और सीटें इसमें जोड़ीं, जिससे समाजवादी पार्टी को मिलने वाली सीटों की संख्या पांच हुई। इस पर सपा के राज्य नेतृत्व की त्योरियां चढ़ गयीं। आज संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाकर बिहार के मुद्दे पर निर्णय लेने का फैसला किया गया, मगर चंद घंटों के अंदर ही बैठक स्थगित कर दी गई। हालांकि, राज्यसभा सदस्य किरनमय नंदा का कहना है कि बिहार चुनाव, गठबंधन व सीटों पर अब मुलायम सिंह यादव फैसला लेंगे। फिलहाल संसदीय बोर्ड की बैठक स्थगित कर दी गयी है।

सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि बिहार में सिर्फ पांच सीटों पर चुनाव लडऩे का प्रभाव प्रदेश की सियासत पर पड़ेगा। अगर किन्ही कारणों से ये सीटें जीती नहीं जा सकीं तो फिर विपक्षी दलों को हमले का एक और मौका मिल जाएंगा। पार्टी के रणनीतिकार विरोधी दलों को ऐसा कोई भी मौका देने को तैयार नहीं है। हालांकि अंतिम निर्णय मुलायम सिंह यादव को ही लेना है।

नंदा ने कहा जनता दल यूनाइटेड (जदयू) व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में पार्टी को सिर्फ पांच सीटें दिये जाने से बिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी है। इससे पहले महागठबंधन के सौ सीटों के बंटवारे में सपा को एक भी सीट नही मिलने से नाराज सपा नेताओं ने पटना में भूख हडताल की थी। सीटों के बटवारें में कांग्रेस को 40 सीटें मिली थी जबकि तीन सीटें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के हिस्से में गयी थी। सपा के विरोध के बाद गठबंधन ने पांच सीटें सपा को देने की घोषणा की थी हालांकि पार्टी कार्यकर्ता इस हिस्से से कतई संतुष्ट नही है और वह चुनाव मे बड़ी भागीदारी चाहते हैं।

पटना में परसों महागठबंधन की स्वाभिमान रैली से सपा मुखिया ने दूरी बनाये रखी। रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के अलावा जदयू अध्यक्ष शरद यादव एक मंच पर मौजूद थे। रैली में सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने पार्टी का प्रतिनिधित्व किया।


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