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बड़े दफ्तरों में भी आरटीआइ की अनदेखी

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश सरकार के शीर्ष कार्यालय भी सूचना के अधिकार (आरटीआइ) की अनदे

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 04:00 PM (IST)
बड़े दफ्तरों में भी आरटीआइ की अनदेखी

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश सरकार के शीर्ष कार्यालय भी सूचना के अधिकार (आरटीआइ) की अनदेखी कर रहे हैं। सचिवालय से लेकर मंडलायुक्त और जिला स्तरीय कार्यालयों में लोग चंद दिनों में मिलने वाली सूचना के लिए वर्षो चक्कर लगाने को मजबूर हैं। मुख्य सूचना आयुक्त (सीईसी) तक के आदेशों का अधिकारियों पर असर नहीं है।

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सुलतानपुर के सूरापुर निवासी डा. राकेश सिंह ने दो वर्ष पूर्व आरटीआइ के तहत मुख्य सचिव कार्यालय से भूख एवं कुपोषण से हुई मौत के कुछ बिंदुओं पर जानकारी मागी थी। सवाल था कि भूख एवं कुपोषण से हुई मौत को मानने का पैमाना या मापदंड क्या है। भूख एवं कुपोषण से जूझ रहे लोगों को चिह्नित करने के लिए सरकार ने कोई मापदंड निर्धारित किया है। किस आधार पर यह तय किया जाता है कि अमुक जिले में अमुक व्यक्ति की मौत भूख से हुई है। शासन की जानकारी में क्या प्रदेश के किसी नागरिक की मौत भूख एवं कुपोषण से हुई है। यदि हुई है तो कब, संख्या व नाम बताएं। मुख्य सचिव कार्यालय ने राजस्व विभाग को निर्देश दिया कि संबंधित सूचना उपलब्ध कराई जाए लेकिन राकेश सिंह को आज तक जानकारी नहीं दी गई।

आरटीआइ के तहत मागी गई सूचना पर शासन से जवाब नहीं मिलने की यह एकमात्र नजीर नहीं है। ऐसे दर्जनों प्रकरण मौजूद हैं जिनमें लोग वर्षो से सूचना हासिल करने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

कमोबेश ऐसी ही पीड़ा 'भूख मुक्ति एवं जीवन रक्षा गारंटी' योजना के संबंध में समाज कल्याण विभाग और पंचायती राज विभाग से मांगी गई जानकारी को लेकर भी है। इस संबंध में सात मार्च 2014 को मांगी गई सूचना आज तक नहीं मिली। ग्रामीण क्षेत्रों के स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों व शहीदों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को शासकीय स्तर पर संकलित कर सुरक्षित और संरक्षित रखने की जिम्मेदारी किस महकमे की है, यह सूचना पिछले एक साल से राजनैतिक पेंशन विभाग और सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग देने को तैयार नहीं है। पूर्वाचल में जापानी बुखार को लेकर मांगी गई सूचना की भी अनदेखी की गई।

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डीएम कर रहे अनदेखी

आरटीआइ की अनदेखी करने वाले सूचना अधिकारियों के खिलाफ आयोग द्वारा निर्धारित दंड वसूली के आदेश की जिलाधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। आयोग को दंड वसूली से संबंधित कार्रवाई से अवगत भी नहीं कराया जा रहा है।

-सैय्यद हैदर अब्बास रिजवी, राज्य सूचना आयुक्त

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क्या है कार्रवाई का प्रावधान

निर्धारित समय में सूचना नहीं देने वाले सूचना अधिकारियों के खिलाफ प्रतिदिन 250 रुपये और अधिकतम 25 हजार रुपये जुर्माना वेतन से वसूलने का प्रावधान है। अगर वेतन से वसूली नहीं होती है तो संबंधित अधिकारी की अचल संपत्ति को बेचकर सरकारी खजाने में जुर्माना जमा कराने का आयोग द्वारा निर्देश दिया जाता है।


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