विधानसभा चुनाव : उत्साह के साथ बूथों पर उमड़े अल्पसंख्यक
प्रथम चरण के मतदान से साफ हो गया है कि इस बार मुद्दे से ज्यादा वैयक्तिक पसंद हावी है। अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में लंबी कतारें देखी गईं। मतदाताओं के रुझान से एक कैंप में बड़ी राहत है।
पटना। प्रथम चरण के मतदान से साफ हो गया है कि इस बार मुद्दे से ज्यादा वैयक्तिक पसंद हावी है। अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में लंबी कतारें देखी गईं। मतदाताओं के रुझान से एक कैंप में बड़ी राहत है। कयास लगाया जा रहा था कि इस बार चुनाव को लेकर अल्पसंख्यक क्षेत्रों में बहुत उत्साह नहीं रहेगा।
इसे झुठलाते हुए लोकतंत्र के महापर्व को अल्पसंख्यकों मतदाताओं ने ईद की तरह मनाया। अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए लंबी कतार हकीकत बयान कर रही थी। वोट डालने के बाद युवाओं ने सेल्फी से उत्साह का इजहार किया।
बिहार में कुल वोटरों में से करीब 17 फीसद हिस्सेदारी मुस्लिम तबके की है। 70 सीटों पर जीत-हार को मुसलमान सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। प्रथम चरण के चुनाव में भी आधा दर्जन सीटों पर मुसलमानों का वोट अहम साबित होगा।
यही वजह है कि सभी दल मुस्लिम बिरादरी को अपनी तरफ करने के जतन में पीछे नहीं रहे, न रहते हैं। इस चुनाव से पहले मतदान को लेकर इस बिरादरी की स्थिति थोड़ी स्पष्ट रहती थी और वे खुलकर विशेष दल के समर्थन की बात करते थे।
इस बार तस्वीर हल्की सी बदली हुई दिखी। दलों का समीकरण बदलने के कारण वे थोड़ा संशय में थे। नेताओं के भाषण और हाल की कुछ घटनाओं की वजह से मुस्लिम मतदाताओं द्वारा मतदान में बढ़कर हिस्सा लेने पर संशय व्यक्त किया जाने लगा था। सुबह मतदान शुरू होते ही उन्होंने संशय को झुठला दिया।
मतदान केंद्रों के बाहर लगी लंबी लाइनों में हर आयु-वर्ग के पुरुष और महिला वोटर थे। बुजुर्ग मतदाताओं का उत्साह भी युवाओं से कम नहीं था। मतदान बड़ी प्राथमिकता थी, लिहाजा दूसरे काम दरकिनार कर लोग बूथों तक पहुंचे। किसे वोट दिया और कौन दल आगे रहेगा आदि सवालों पर कुशल राजनीतिज्ञ की तरह केवल मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जा रहे थे।