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वाकई, पुरुष भी नहीं लांघते दहलीज

By Edited By: Published: Wed, 27 Jun 2012 08:05 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2012 08:25 PM (IST)
वाकई, पुरुष भी नहीं लांघते दहलीज

-पांच साल कोसते रहे, जब बारी आई तो दो फर्लाग न चले

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इलाहाबाद : 15 फरवरी, 2012, विधानसभा चुनाव के लिए इलाहाबाद में 55.31 फीसद मतदान हुआ। इसके 133 दिन के अंतराल पर हुए निकाय चुनाव में 32.70 फीसद का कम मतदान चौंकाने वाला है। वह भी तब जबकि इस बार महापौर पद महिला के लिए आरक्षित है। शहर का प्रथम नागरिक बनने की होड़ में 29 महिलाओं ने चुनाव मैदान में जोर-आजमाइश की। महिलाओं के लिए 26 वार्ड आरक्षित भी, 330 महिला प्रत्याशी मैदान में, महिला मतदाताओं की संख्या भी साढ़े चार लाख के करीब। इलाहाबाद के विकास, खासतौर पर अगले साल होने वाले महाकुंभ को लेकर वादे किए गए। भरोसा दिलाया गया। प्रशासन ने भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया, पर जब मतदाताओं की बारी आई, तो पीठ दिखा दी।

विधानसभा चुनाव की बात करें, तो उस समय शहरी सीटों में शहर पश्चिमी में सबसे ज्यादा 51.71 फीसद वोट पड़े थे, इसके बाद शहर दक्षिणी में 45.05 और शहर उत्तरी में 40.90 फीसद मतदान हुआ। उस समय भी ग्रामीण इलाकों ने बाजी मारी थी। तब फाफामऊ में 57.70 फीसद, सोरांव में 58.76, फूलपुर में 59.91, प्रतापपुर में 57.43, हंडिया में 56.92, करछना में 58.69, मेजा में 56.02, बारा में 59.07, कोरांव में 61.65 फीसद वोट पड़े थे। विधानसभा चुनाव की तर्ज पर यह उम्मीद जाहिर की जा रही थी कि निकाय चुनाव में मतदान का नया रिकॉर्ड बनेगा।

यह उम्मीदें अनायास भी नहीं थीं। हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हर्ष कुमार शर्मा मोनूजी कहते हैं, आम आदमी पांच साल तक जिन बुनियादी नागरिक सुविधाओं के लिए जूझा, उसके लिए संघर्ष किया, उसका जवाब देने का यह बेहतरीन मौका था। वह कहते हैं कि अभी तीन-चार दिन पहले ही रामबाग में सीवर का पानी भरने से लोग त्राहि-त्राहि कर उठे थे, अब जब सही जनप्रतिनिधि चुनने का मौका आया, तो लोग घर में बैठे रहे, समस्याओं की असली जड़ यही है। रामबाग के रहने वाले अभिनव भी कहते हैं कि लोग एक पार्षद से बिजली, पानी, सड़क, सफाई, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र से लेकर अपनी अन्य समस्याओं के समाधान की उम्मीद तो करते हैं, पर मतदान के लिए घर से निकलना भी नहीं चाहते, फिर पांच साल किसी और के बजाय खुद को ही कोसना उचित रहेगा। इस बार निकाय चुनाव में मतदाताओं की संख्या दस लाख 41 हजार 415 रही, जिनमें साढ़े चार लाख महिलाएं और शेष पुरुष मतदाता शामिल हैं। मतदान प्रतिशत बताता है कि महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी घर की दहलीज लांघने से परहेज किया। कम मतदान होने से प्रत्याशी भी हलकान हैं, उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि इतनी मेहनत के बाद मतदाता उदासीन क्यों रहा और इसका क्या नतीजा सामने आएगा।

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