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होशियार ! आसनसोल में लुट सकती आपकी गाढ़ी कमाई

By Edited By: Published: Wed, 09 May 2012 01:28 AM (IST)Updated: Wed, 09 May 2012 01:28 AM (IST)
होशियार ! आसनसोल में लुट सकती आपकी गाढ़ी कमाई

जमशेदपुर, निज संवाददाता : बाअदब बा मुलाहेजा होशियार। आसनसोल रेलवे स्टेशन आ रहा है, जागते रहो! जी हां, अगर आप टाटानगर से बिहार या वहां से टाटानगर आने-जाने वाली रेलगाड़ियों में सफर करते हैं तो आसनसोल और जसीडीह स्टेशन के नजदीक पहुंचते ही सजग हो जाएं, क्योंकि ट्रेन में चोरों और जहरखुरान गिरोह की नजर आप पर है। जरा सी नजर चूकी और काम तमाम। सारी गाढ़ी कमाई चोर लेकर नौ दो ग्यारह हो जाएंगे।

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पटना-टाटा और छपरा-टाटा रूट पर कई साल का रिकार्ड बताता है कि ज्यादातर आपराधिक घटनाएं आसनसोल और जसीडीह स्टेशन के आसपास अंजाम दी गई हैं। इसके बाद भी जीआरपी और आरपीएफ मुसाफिरों के माल-ओ-असबाब की हिफाजत नहीं कर पा रहा है।

रिपोर्ट दर्ज कर मुकदमा ट्रांसफर का खेल

राज्य पुलिस तो यदा-कदा चोरी की घटनाओं का खुलासा कर भी लेती है, लेकिन रेलगाड़ियों में हुई चोरी और जहरखुरानी की घटनाओं का शायद ही कभी पर्दाफाश हो पाता हो। न जाने कितने लैपटॉप, लाखों रुपये कीमत के गहने इस रूट पर मुसाफिर गंवा चुके हैं, लेकिन जीआरपी सिर्फ मुकदमा दर्ज कर इसे आसनसोल और जसीडीह पुलिस को सुपुर्द करने के सिवा कुछ नहीं कर पा रही है।

पिछले साल मांगा गया था हिसाब

पिछले साल तत्कालीन रेल एसपी केवी सिंह ने आसनसोल जीआरपी को पत्र लिखकर उन मुकदमों का हिसाब मांगा था, जो टाटानगर से वहां के लिए ट्रांसफर किए थे। हालांकि आसनसोल जीआरपी ने इस पत्र का जवाब देने की जहमत नहीं उठाई। सूत्र बताते हैं कि आसनसोल में जीआरपी की पुलिसिंग ढ़ीली होने के चलते ही चोरी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

फैक्ट फाइल

* छपरा-टाटा ट्रेन में आसनसोल के पास टेल्को के मनोज कुमार का गहनों से भरा हैंडबैग चोरी

* छपरा-टाटा ट्रेन में आ रहे रंजीत ठाकुर का जसीडीह में पांच तोले सोने के जेवरात से भरा ट्रॉली बैग पार

* साउथ बिहार एक्सप्रेस में रायपुर के विनय कुमार का आसनसोल में नकदी भरा हैंडबैग चोरी

* साउथ बिहार एक्सप्रेस में सावन कुमार का आसनसोल में हैंडबैग चोरी

* छपरा-टाटा ट्रेन में सोनारी की डेजी कुमारी का आसनसोल में सवा लाख के गहने चोरी

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'महीने में एक बार हमारी आसनसोल जीआरपी के साथ बैठक होती है। इसमें घटनाओं पर लगाम लगाने की रणनीति पर विचार होता है। जो घटनाएं होती हैं, उन्हें टाटानगर में दर्ज करने के बाद वहां ट्रांसफर कर दिया जाता है जहां घटना होती है। बाकी का काम वहां की जीआरपी को करना होता है।'

- अजय लिंडा, रेल एसपी टाटानगर

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