जेलों में सब कुछ ठीक नहीं
बृजेश यादव मऊ,
पूर्वाचल की जेलों में इस समय सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गत एक माह के अंदर दो जेलों में हुए उग्र प्रदर्शन और एक जेल अधीक्षक की हत्या के प्रयास का पर्दाफाश यह सिद्ध करने के लिए काफी हैं। वाराणसी, बस्ती के बाद मऊ जेल में बुधवार को हुए उपद्रव को लेकर कुछ लोग यूपी की सपा सरकार पर कटाक्ष भले ही कर रहे हों, लेकिन दो घटनाएं पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुई। यह भी स्पष्ट हो चला है कि जेलों में बंद समाज के बिगड़ैलों के मस्तिष्क को खेल व योग के माध्यम से दूर करने की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। इसके पीछे महज कैदी ही नहीं जेलों के भीतर कैदियों पर शिकंजा कसने के बहाने चल रहा वसूली व बेवजह प्रताड़ना का कारण भी बताया जा रहा है।
घटनाओं पर गौर करें तो करीब एक माह पूर्व वाराणसी जेल में कैदियों ने जेल अधीक्षक को बंधक बना लिया था। इसके बाद बंदीरक्षकों की पिटाई की थी। इस घटना में भी जेल में लगातार अव्यवस्था से कैदियों के आजिज आने की बात सामने आई थी। इस घटना के बाद मऊ जिला जेल में तलाशी के दौरान बंदीरक्षक से कैदी भिड़े थे। बीच बचाव में जेलर वीके मिश्रा को भी चोटें आई थी। इसके बाद गत 10 मार्च को बस्ती के जेल अधीक्षक आरके केसरवानी की हत्या का षडयंत्र रचने का खुलासा हुआ था। इस घटना के उपरांत बुधवार को यहां की जिला जेल में दो डिप्टी जेलरों पर हमला करने की घटना ने साबित कर दिया कि पूर्वाचल की जेलों में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। जघन्य अपराध करने वालों का ध्यान बंटाने व मन की शुद्धि व शारीरिक स्वस्थता के लिए कैदियों को क्रिकेट, शतरंज, रस्साकसी आदि खेल खिलाने के साथ ही वर्ष में कई बार योग शिविर लगाए जाते हैं लेकिन इसका भी असर होता नहीं दिख रहा। जानकारों का कहना है कि दोषी कैदियों पर तो नकेल कसी ही जानी चाहिए। इसके साथ ही जेल प्रशासन की भी ओवरहालिंग की जरूरत है।
सात डाक्टरों की टीम ने किया पीएम
मऊ : जेल में मृत सईदुर्रहमान के शव का पोस्टमार्टम सात डाक्टरों की टीम ने किया। जिले में ऐसा पहली बार हुआ। इस टीम की अध्यक्षता डिप्टी सीएमओ डा.सीआई रजा ने की। पोस्टमार्टम में बिसरा के अलावा पूरा हृदय और मस्तिष्क का एक भाग चार जार में रखकर जांच के लिए भेजा गया। पीएम में मृत्यु का कारण अस्पष्ट बताया गया है।
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