रोते हैं दूसरों का मनोरंजन करने वाले
बीसलपुर : कभी सुल्ताना डाकू, लैला मजनू तो कभी भिखारी बनकर लोगों का मनोरंजन करने वाले, अपने पेशे से संतुष्ट नहीं है। महंगाई के इस दौरे में बहुरूपिया बनकर परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे है। ऐसे पेशे से जुड़े लोग अपने सीने में दर्द छिपाए हैं। एक समय ऐसा था जब ये लोगों का मनोरंजन करके अच्छी आमदनी करते थे। समाज में उन्हें सम्मान भी मिलता था। बहुरूपिया किसी स्थान पर कुछ दिन रुककर सुल्ताना डाकू, मजनू, फरहाद राक्षस, पागल, भिखारी, राधा-कृष्ण, मीरा बाई, शंकर, पार्वती आदि का वेश धारण कर बाजार में घूमकर लोगों का मनोरंजन करने के साथ ही कमाई भी करते थे। राजस्थान से आए बहरुपिया राजू व उसके साथी दिनेश ने बताया कि यह उसका पुस्तैनी धंधा है। मां-बाप, भाई-बहन सभी इस पेशे से जुड़े हुए है। परंतु अब इस पेशे से परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है। इस कला को अब सम्मान नहीं मिलता बल्कि लोग उनका मजाक उड़ाने लगते हैं।
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