बदहाली के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान जरूरी
जमुआ (गिरिडीह), संवाद सहयोगी : झारखंड गठन के 11 साल बीत चुके हैं। इन वर्षो में राज्य का कितना विकास हुआ, यह एक अहम मुद्दा बना हुआ है। लोग यहां की सरकार की घोषणाओं और विकास का आकलन करने लगे हैं, लेकिन अपेक्षित विकास नहीं देख लोगों की उम्मीदें टूटने लगी है। इसके लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान भी हो रही है। लोग सरकार के साथ-साथ अधिकारी, जनता और जनप्रतिनिधियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। दैनिक जागरण की ओर से झारखंड को और कितना वक्ता चाहिए विषय पर चलाए जा रहे अभियान के तहत इस संबंध में जानें जमुआ क्षेत्र के छात्र और व्यवसायी वर्ग की राय।
व्यवसायी छोटू पेंटर ने कहा कि सरकार शिक्षण व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चला रही है। बावजूद इसके शिक्षकों की कमी के कारण इसमें सुधार नहीं हो रहा है।
शिक्षाविद् सतीश कुमार ने कहा कि राज्य गठन के बाद मनोनुकूल प्रगति नहीं हो सकी। बालिकाओं की शिक्षा के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बालाओं को उच्च शिक्षा के लिए सोचना पड़ता है।
शिक्षाविद् अरविंद द्विवेदी ने कहा कि सरकार की घोषणाएं तो संतोषप्रद होती हैं, लेकिन इस ओर पहल नगण्य है। यही वजह है कि कई योजनाएं और विकास कार्य अभी भी वर्षो से अधर में है। व्यवसायी टिंकू कुमार ने कहा कि अनुशासन देश को महान बनाता है, लेकिन नेता, मंत्री और शीर्ष पदों पर आसीन अधिकारियों को स्वशासित होना पड़ेगा। तभी विकास संभव है।
व्यवसायी छोटन गुप्ता ने कहा सकारात्मक मानसिकता विकास के लिए जरूरी है। लोगों को कार्य के निष्पादन के प्रति सकारात्मक सोच के साथ संकल्पित होना पड़ेगा।
व्यवसायी अमरदीप राम ने कहा कि शिक्षा को रोजगार मूलक बनाने की दिशा में सरकार को पहल करनी चाहिए। इससे छात्र उद्देश्य के साथ शिक्षार्जन करेंगे।
व्यवसायी किशोर विश्वकर्मा ने कहा कि नेताओं की नीति और नीयत केवल देशहित में हो। साथ ही स्थानीयता की नीति भी साफ होनी चाहिए। तभी सरकार की योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंच सकती है।
व्यवसायी चिंतामणि साव ने कहा कि सरकार को प्रारंभिक शिक्षा स्तर में सुधार करना चाहिए। तभी मेधावी छात्रों के पलायन में विराम लगेगा।
व्यवसायी कैलाश महतो ने कहा कि केवल सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। विकास के लिए स्थायी सरकार के नेतृत्व की जरूरत है।
छात्र राहुल कुमार ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए सर्वप्रथम शैक्षणिक परिवेश में सुधार लाना होगा।
फारुख अंसारी ने कहा कि मेधावी छात्रों के पलायन को रोकने की दिशा में पहल होनी चाहिए।
व्यवसायी मो. मुख्तार ने कहा कि हर वर्ग को इन योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराने की दिशा में पहल जरूरी है।
व्यवसायी अनिल कुमार ने कहा कि कृषि कृषि क्षेत्र को बढ़ावा और वन प्रक्षेत्र की रक्षा की दिशा में सरकार को गंभीर पहल करनी चाहिए।
व्यवसायी शिवचरण गुप्ता ने कहा कि विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को बढ़ावा देने की जरूरत है।
वार्ड सदस्य आशादेव ने कहा कि शिक्षा का ग्राफ बढ़ने से व्यवस्था में स्वत: सुधार होगा। सरकार को गुणात्मक सोच से नेतृत्व करने की जरूरत है।
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