छठ धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक पर्व भी
आरा : आस्था,श्रद्धा और विश्वास का पर्व है छठ पर्व। सूर्य की अराधना होती है, उपासना होती है। भारत वर्ष में जब कभी ऋतु परिवर्तन होता है तो उस समय एक न एक त्योहार अवश्य होता है। इस समय ठंड का मौसम दस्तक देने लगा है। उसकी तैयारी अर्थात उसके स्वागत की तैयारियों का प्रारंभ छठ व्रत उपवास से प्रारंभ हो जाता है। सूर्य दक्षिणायन होते है। जिससे तापमान मे कमी होने लगती है। छठ व्रत बिहार की संस्कृति का एक हिस्सा है, यह धार्मिक पर्व के साथ-साथ सांस्कृतिक पर्व भी है। यही एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान भास्कर से लोग अपने लिए 'बेटी' की भी कामना करते हैं। बेटियों की मान-मर्यादा यहां अधिक है। नारी सशक्तिकरण तो यहां प्राचीन काल से चला आ रहा है। समय जरूर बदला है किंतु बिहार की संस्कृति नहीं बदली है। छठ के घाटों पर मेला लगा रहता है। बेहिचक लोग परिचित-अपरिचित सभी से प्रसाद की याचना करते हैं। इस प्रसाद को पाना ही बड़ी उपलब्धि मानते हैं तथा बड़ी श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।
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