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कुम्हारों की जिंदगी पर आधुनिकता का वज्रपात!

By Edited By: Published: Mon, 02 May 2011 11:48 PM (IST)Updated: Wed, 16 Nov 2011 04:44 PM (IST)
कुम्हारों की जिंदगी पर आधुनिकता का वज्रपात!

अयोध्या, मिट्टी को बर्तन का रूप देने का हुनर रखने वाले कुम्हारों की जिंदगी पर आधुनिकता के इस दौर ने वज्रपात ही कर दिया है। मिट्टी न मिल पाने व बर्तन पकाने के लिए ईंधन महंगा होने से इनका दर्द और भी बढ़ जाता है। बावजूद इसके अयोध्या के रायगंज गोड़ियाना व वासूपुर जयसिंह मऊ गांव में चाक चलता दिखाई देता है।

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अयोध्या के रायगंज गोड़ियाना के निवासी सत्यनारायण प्रजापति बताते हैं यह हम लोगों का पुस्तैनी व्यापार है लेकिन आधुनिकता की दौर में फाइवर व प्लास्टिक के बने बर्तनों ने इस व्यापार पर ग्रहण लगा दिया है। उन्होंने बताया कि पहले शादी-विवाह के अवसर पर मिट्टी से बने कुल्हड़ व परई की मांग अधिक रहती थी लेकिन अब उसका स्थान फाइवर व प्लास्टिक के बने दोना व गिलास ने ले लिया है। किसी तरह हम लोगों को अपने जीविकोपार्जन के लिए इस धंधे को करना मजबूरी है।

राजकुमार प्रजापति ने बताया कि महंगाई की मार से और भी कमर टूट जा रही है। मिट्टी के बर्तन को पकाने के लिए ईंधन बहुत महंगा हो गया है। पहले भूरी मिट्टी से बर्तन बनाते थे लेकिन वह न मिल पाने के कारण काली मिट्टी से ही बर्तन बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक ट्राली मिट्टी एक हजार रुपए में मिल पाता है। यदि एक हजार रुपए का बर्तन पकाना है तो 400 रुपये का ईंधन लगाना पड़ता है। जयसिंह मऊ के सूरज प्रजापति ने बताया कि यह व्यापार मृतप्राय हो गया है। वे बताते हैं कि जो कुल्हड़ 25 रुपये सैकड़ा के भाव में बिक जाता था, वह अब 15 रुपये सैकड़ा के भाव में बिकना मुश्किल हो रहा है। पहले अयोध्या के मंदिरों में मिट्टी के ही कुल्हड़ व परई का प्रयोग किया जाता था लेकिन अब वहां भी फाइवर के गिलास व दोना का प्रयोग होने लगा है।

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कायम है घड़ा व सुराही का वजूद

अयोध्या : गरीबों को प्यास बुझाने के लिए मिट्टी के घड़े व सुराही आज भी लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इलेक्ट्रानिक फ्रिज के आगे देशी फ्रिज (मिट्टी से बना घड़ा व सुराही) की मांग कम तो हुई है लेकिन वह आज भी अपना वजूद कायम रखे हुए है। सब्जीमंडी के निकट घड़ा व सुराही की दुकानें सजीं दिखाई पड़ रही हैं। लोग इससे आकर्षित होकर खरीदारी भी करते दिखाई दे रहे हैं। ननकऊ ने बताया कि घड़े की कीमत साइज के हिसाब से 25, 30 व 35 रुपये है। हालांकि इसकी खरीदारी ज्यादातर गरीब लोग ही करते हैं।

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