संकल्प और प्रतिज्ञा का पर्व है यज्ञोपवीत संस्कार: ओमानंद
मोरना : तीर्थ नगरी शुक्रताल शुकदेव पीठ पर सैकड़ों नवीन प्रविष्ट ब्रह्मचारियों का यज्ञोपवीत वेदारंभ सं
मोरना : तीर्थ नगरी शुक्रताल शुकदेव पीठ पर सैकड़ों नवीन प्रविष्ट ब्रह्मचारियों का यज्ञोपवीत वेदारंभ संस्कार वेद मंत्रों के साथ सम्पन्न हुआ। संत स्वामी ओमानंद महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जीवन के सोलह संस्कार माने गए हैं। जिसमें यज्ञोपवीत संस्कार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। प्रगतिशील, उन्नत और सफल जीवन जीने के लिए यज्ञोपवीत संस्कार बहुत आवश्यक है। इससे अन्त:करण पवित्र और निर्मल हो जाता है। जिससे चिंतन, स्वस्थ, सात्विक और संतुलित हो जाता है। यज्ञोपवीत संस्कार से उद्देश्य पूर्ण शिक्षा मिलती है। श्री शुकदेव संस्कृत विद्यालय में अध्ययनरत नेपाल, असम, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के नवीन ब्रह्मचारियों का यज्ञोपवीत वेदारंभ संस्कार शनिवार को शुकदेव पीठ पर आचार्य ज्ञानप्रसाद व आचार्य ग्रीस चंद्र उप्रेती ने विधि-विधान पूर्वक वेद मंत्रों के साथ कराया। संत स्वामी ओमानंद महाराज ने नवीन ब्रह्मचारियों को गोमुखी, माला, आसन, फल, वस्त्र व दीक्षा देकर उनके जीवन की मंगल कामना का आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम में आचार्य कृष्ण पोडेल शास्त्री, बाल व्यास अचल कृष्ण शास्त्री, प्रदीप शास्त्री, धीरेंद्र तिवारी, श्याम शास्त्री आदि मौजूद रहे।