थैलीसीमिया की दवा से हार्ट अटैक का इलाज
ऋषि दीक्षित, कानपुर थैलीसीमिया की दवा से जल्दी ही हार्ट अटैक के मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा। इसक
ऋषि दीक्षित, कानपुर
थैलीसीमिया की दवा से जल्दी ही हार्ट अटैक के मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा। इसके लिए जीएसवीएम मेडिकल कालेज एवं एम्स के डॉक्टर मिलकर रिसर्च कर रहे हैं। परिणाम सकारात्मक मिले हैं। मेडिकल कालेज की एथिकल कमेटी व विश्वविद्यालय रिसर्च कमेटी की मुहर के बाद अब खरगोश पर दवा के असर का परीक्षण किया जाएगा।
हार्ट अटैक में नसों में खून का थक्का जम जाता और हार्ट क्षतिग्रस्त हो जाता है। इससे आयरन की चेन बन जाती है, जो फ्री रेडिकल कहलाते हैं। इनके दुष्प्रभाव से हार्ट को बचाने के लिए मेडिकल कालेज के फार्माकोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अम्बरीश गुप्ता के अधीन डॉ. गौरव गंभीर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें एम्स के फार्माकोलाजी विभागाध्यक्ष डॉ. वाईके गुप्ता सहयोग कर रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि हार्ट अटैक में खून का थक्का जमने से हार्ट क्षतिग्रस्त हो जाता है। मरीज के लिए तत्काल आईसीयू की जरूरत पड़ती है। समय से इलाज न मिलने पर लोग दम तोड़ देते हैं। विदेशों में कई बार हार्ट पर आयरन के दुष्प्रभाव (फ्री रेडिकल) को कम करने पर मंथन हो चुका है। अगर इन्हें हटा दिया जाए तो मरीज की जान बचायी जा सकती है। इसे फ्री रेडिकल्स स्केवेंजर्स कहते हैं। आयरन के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए थैलीसीमिया की नई दवा डिफेरीपरोन टेबलेट है, जिस पर रिसर्च चल रहा है। यह ओरल दवा आयरन का असर कम करने में कारगर है। ग्रीष्मावकाश के बाद खरगोश पर दवा के प्रभाव का परीक्षण किया जाएगा।
क्या होता है थैलीसीमिया थैलीसीमिया के मरीजों में ब्लड नहीं बनता है। ऐसे में उन्हें बराबर ब्लड चढ़ाना पड़ता है। इससे उनके शरीर में आयरन की अधिकता हो जाती है। शरीर से आयरन हटाने के लिए एलवन (डिफेरीपरोन) दवा दी जाती है। यह एंटी आक्सीडेंट का काम करती है और शरीर से आयरन हटाती है।
बीमारियों की वजह हैं फ्री रेडिकल्स
किसी भी बीमारी की वजह फ्री रेडिकल्स हैं। जो शरीर में डिपाजिट होकर सेल्स को डैमेज करते हैं। इसकी वजह से ही डायबिटिज, हार्ट, किडनी एवं लिवर की बीमारी होती है। बुढ़ापा भी जल्दी आता है।
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इंजेक्शन पर हो चुका रिसर्च
जीएसवीएम मेडिकल कालेज में 20 वर्ष पहले डॉ. अंबरीश गुप्ता ने
डेक्सफेरीआक्सामिन इंजेक्शन पर रिसर्च किया था। यह आयरन हटाने वाला इंजेक्शन है। हार्ट अटैक पड़ने पर आईसीयू में भर्ती मरीजों को ड्रिप में डालकर दिया जाता है। इससे हार्ट को हुई क्षति तेजी से दूर होती है, लेकिन इसे घर पर देना संभव नहीं है।
आयरन का दुष्प्रभाव : हड्डी और मांसपेशी कमजोर होना, लिवर और पेनक्रियाज क्षतिग्रस्त होना, आंख की रोशनी प्रभावित होना।