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धरातल पर आएंगी बड़ी योजनाएं

कानपुर,जागरण संवाददाता : गांवों में अस्पतालों की स्थापना हो या फिर रीजनल साइंस सेंटर की या फिर सोलर

By Edited By: Published: Sat, 30 May 2015 03:45 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2015 03:45 AM (IST)
धरातल पर आएंगी बड़ी योजनाएं

कानपुर,जागरण संवाददाता : गांवों में अस्पतालों की स्थापना हो या फिर रीजनल साइंस सेंटर की या फिर सोलर पावर प्लांट का निर्माण। अब इन कार्यो के लिए भूमि की कमी नहीं पड़ेगी। इतना ही नहीं केडीए भी आवासीय योजनाएं लांच कर सकेगा। योजनाओं को धरातल पर लाने में अब भूमि की कमी बाधा नहीं बनेगी। प्रशासन के पास भूमि तो थी, लेकिन उस पर भूमाफियाओं का कब्जा था। डीएम ने अभियान शुरू किया तो करीब दस अरब रुपये की 642.858 हेक्टेयर भूमि कब्जा मुक्त हो गई है। अभी करीब इतनी ही भूमि कब्जा मुक्त होना बाकी है।

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केडीए की तमाम आवासीय योजनाएं भूमि की मुआवजा राशि पर सहमति न बन पाने से फंसी हैं जबकि केडीए की जो खुद की भूमि है उस पर अफसरों का अब तक कोई ध्यान नहीं था। अभियान शुरू हुआ तो बारासिरोही गांव के पास 42 हेक्टेयर भूमि एक ही जगह पर चिह्नित की गई, जिस पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा है। अब इस भूमि पर केडीए आवास बना सकता है या फिर इसका उपयोग किसी अन्य कार्य में कर सकता है। छतमरा गांव में भी 13 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर एक दबंग से छुड़ाई गई। यहां भी केडीए भविष्य में आवास बना सकता है। इसी तरह रीजनल साइंस सेंटर के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को भूमि की आवश्यकता है। सात एकड़ भूमि नहीं मिल पा रही है। अब प्रशासन बारासिरोही, सरसौल के आसपास कहीं भूमि भूमि उपलब्ध करा सकता है। 50 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए ढाई सौ एकड़ भूमि की आवश्यकता है। यह भूमि अब प्रशासन कटरी डोमनपुर गांव में दे देगा, क्योंकि वहां मांग से अधिक भूमि कब्जा मुक्त हुई है। 70 एकड़ भूमि पीएसी की एक और बटालियन की स्थापना के लिए चाहिए। प्रशासन पीएसी को कठोंगर गांव में या फिर सरसौल के पास यह भूमि दे देगा, क्योंकि वहां भी 60-60 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि कब्जा मुक्त हुई है। गांवों में अस्पताल, प्राथमिक स्कूल, सामुदायिक मिलन केंद्र, पंचायत घर की स्थापना के साथ ही गरीबों को आवास बनाने और खेती के लिए भी अब पट्टे पर भूमि दी जा सकेगी, क्योंकि प्रशासन के पास पर्याप्त मात्रा में भूमि उपलब्ध हो गई है। अभी मकसूदाबाद, नौबस्ता, चकेरी आदि इलाकों में भी केडीए की करीब दो सौ हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है जहां दबंगों का कब्जा है। इन भूखंडों को खाली कराकर वहां केडीए पार्क व अन्य परियोजना लांच कर सकेगा।

नहीं गिरेंगे आबादी के मकान

एडीएम वित्त एवं राजस्व शत्रुघ्न सिंह का कहना है कि केडीए की भूमि हो या फिर ग्राम समाज की भूमि अगर दस से 15 साल पहले वहां आबादी बस गई है तो वहां गरीबों के मकान नहीं हटाए जाएंगे।


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