श्रीमद्भागवत के श्रवण मात्र से प्राणी का उद्धार
बलिया : श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही कलियुग में प्राणियों का उद्धार संभव है। इससे प्रेत योन
बलिया : श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही कलियुग में प्राणियों का उद्धार संभव है। इससे प्रेत योनि में भटक रही आत्माओं को भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है। यह बातें दुबहड़ क्षेत्र के मिश्रौली में ग्रामप्रधान मुनेंद्र मिश्र के दरवाजे पर चल रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा में कथावाचक पं.विजय नारायण शरण ने कहीं। उन्होंने कहा कि इस कथा को सुनकर इंसान सहज ही भवसागर से पार पा जाता है। आज व्यक्ति दैहिक, दैविक व भौतिक तीन तरह के कष्टों से दुखी जीवन जी रहा है। ऐसे में यदि व्यक्ति को इन कष्टों से मुक्ति की राह व जीवन-मरण के चक्र को सुधारना हो तो उसे भागवत की शरण ग्रहण करनी चाहिए। कलियुग में शाश्वत शांति के लिए व्यास जी व शुकदेव जी द्वारा प्रणीत यह कथा हर तरह की सुख-शांति देने में समर्थ है। शुकदेव जी आप्तकाम व पूर्णकाम भाव से सदैव भगवान की लीला कथा में निमग्न रहते हैं। वह सभी प्राणियों को प्रेरणा देते हैं कि यदि तुम सुख-समृद्धि चाहते हो तो भगवान श्रीकृष्ण के नाम, कथा, लीला व उनके भक्तों से प्रेम करो। कहा संसार में इस कथा का महात्म्य अनंत है।