अभियान से जुड़े स्कूल में फैला कचरा
संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : भारत को स्वच्छ बनाने के लिए जो अभियान शुरू हुआ था, उससे आम जनता तो क्या अभिया
संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : भारत को स्वच्छ बनाने के लिए जो अभियान शुरू हुआ था, उससे आम जनता तो क्या अभियान से जुड़े स्कूलों के विद्यार्थी और शिक्षक भी मुंह मोड़ने लगे हैं। यदि ऐसा न होता तो दो अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान में बढ़चढ़ कर शामिल होने वाले सरकारी ब्वायज हायर सेकेंडरी स्कूल ऊधमपुर में कचरा फैला नजर न आता।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत दो अक्टूबर व उसके बाद भी ऊधमपुर में कई स्कूलों में साफ सफाई अभियान चलाए गए। इतना ही नहीं, इस दौरान विद्यार्थियों से लेकर शिक्षकों ने अपने आसपास के इलाकों को स्वच्छ बनाने में सहयोग करने व दूसरों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करने की शपथ भी ली थी। सरकारी ब्वॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल ऊधमपुर भी इन स्कूलों में से एक था। इतना ही नहीं, स्वच्छ भारत अभियान के तहत दो सप्ताह पूर्व ही इस स्कूल में कक्षा व हॉउस स्तर पर कक्षा स्वच्छता व सजाने की प्रतियोगिता कराई गई। इसके अंतर्गत स्कूल की हर कक्षा से लेकर पूरे स्कूल परिसर की साफ सफाई की गई थी। इस प्रतियोगिता के बाद शुक्रवार को हायर सेकेंडरी स्कूल में जाने पर वहां फैले कचरे ने स्कूल में सफाई व्यवस्था की पोल खोल दी। महज दो ही हफ्तों के बाद स्कूल में फिर से कचरे फैलने से प्रतीत होता है कि अभियान से जुड़े लोग अब सफाई के प्रति गंभीर नहीं है।
स्कूल परिसर में जगह जगह पर कचरा फैला हुआ है। स्कूल के एक गेट से दूसरे गेट तक जाने वाले मार्ग पर कचरे के छोटे ढेर लगे हैं। यह आलम स्कूल में चले सफाई अभियान के महज दो सप्ताह के बाद है। स्कूल प्रशासन ने कचरा फेंकने के लिए स्कूल में कूड़ेदान लगवा रखे हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन आज तक अपने विद्यार्थियों को कचरा बाहर फेंकने के बजाय कूड़ेदान में डालने के लिए प्रेरित करने में विफल रहा है। जब स्कूल के शिक्षक अपने स्कूल के विद्यार्थियों को ही स्कूल परिसर को साफ सुथरा बनाए रखने के प्रति सजग नहीं कर पाए हैं। तो भला वह और विद्यार्थी दूसरों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए कैसे जागरूक कर सकते हैं।
निश्चित तौर पर ही जिस स्कूल में स्वच्छ भारत अभियान के तहत लंबा कार्यक्रम चला हो, उसमें इस तरह की गंदगी की अपेक्षा कोई नहीं करेगा और न ही ऐसी जगह पर कोई कचरा देखना चाहेगा। इसलिए स्कूल प्रशासन को स्वच्छ भारत अभियान की अहमियत और गरिमा को बनाए रखने के लिए स्कूल परिसर में फैले कचरे को हटाने व भविष्य में दोबारा कचरा न फैले यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान देना होगा। ऐसा करने से स्कूल स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ने का उद्देश्य को पूरा कर शहर को साफ बनाने में अपना योगदान दे सकेगा। स्कूल में फैले कचरे को साफ करने का पहला दायित्व विद्यार्थियों का तो है, लेकिन स्कूल के शिक्षक भी स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते। यदि एक शिक्षक भी स्कूल में फैले कचरे को खुद उठा कर कूड़ेदान में डालेगा, तो इसमें कोई शक नहीं वह स्कूल के अन्य कई विद्यार्थियों को ऐसा करने से प्रेरित कर सकता है।
इस बारे में स्कूल के प्रधानाचार्य सुनील शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी अगर खाने पीने के सामान के खाली पैकेट स्कूल परिसर में फेंकते हैं तो सुबह स्कूल परिसर में आने वाले स्कूली विद्यार्थी ही इस कचरे को साफ कर देते है। ताकि स्कूल परिसर में स्वच्छता बनी रहे।
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खुले स्थानों पर फेंका जाता है कचरा
शहर के वार्ड नंबर 17 में भी कचरे का साम्राज्य है। वार्ड में खाली पड़े स्थानों पर लोग घर में साफ सफाई करने के बाद कचरा फेंक कर चले जाते हैं। अभियान को लेकर लोगों में पूरी तरह से जागरूकता न होने के कारण अब यह अभियान केवल लोगों के घरों तक ही सीमित रह गया है। लोग अपने घरों की तो साफ सपाई कर देते हैं, लेकिन घर से निकलने वाले कचरे को मुहल्ले में ही खाली स्थानों पर फेंक देते है। हालांकि, लोगों को यह भी पता है कि घर के बाहर खाली पड़े स्थान पर कचरा फेंकने से मुहल्ले के लोगों का स्वास्थ्य खराब हो सकता हैं। लेकिन लोग इस बात की परवाह किए बिना अभियान से जुड़ने के बावजूद कचरा फैलाने से परहेज नहीं करते हैं। जिला प्रशासन, नगर परिषद व समाज सेवी संस्थाओं को लोगों को इस अभियान से जोड़ने के लिए पूरी तरह से जागरूक करना होगा।