मानक किनारे, ओवरलोडिंग की बल्ले-बल्ले
हमीरपुर जागरण संवाददाता: ट्रक को भार लादने का जितना मानक पीडब्लूडी ने तय किया है, वाहन चालक ठीक उससे
हमीरपुर जागरण संवाददाता: ट्रक को भार लादने का जितना मानक पीडब्लूडी ने तय किया है, वाहन चालक ठीक उससे दोगुना भार लादते हैं। अब इतना भार यदि पुल पर से वाहन लेकर गुजरेंगे तो पुल की आफत होनी तो तय ही है। इसमें यदि दोष तय करें तो वाहन चालकों का ही केवल नहीं है। वाहन चालक तो चाहते ही हैं कि जितना माल ज्यादा पहुंचेगा उसका फायदा है। लेकिन शासन के तय मानकों का पालन कराने वाले इसे देखकर भी अनदेखी कर देते हैं।
शासन की ओर से पीडब्लूडी ने सड़कों पर ट्रकों को भार लादकर चलने के लिए मानक तक किया है। इसमें एक ट्रक साढ़े चार सौ घन मीटर तक माल लोड करके चल सकता है। अगर इन ट्रकों में मानक के अनुसार लोडिंग हो तो कोई बात नहीं लेकिन ऐसा होता नहीं है। ट्रकों में बिल्कुल ऊपर तक मौरंग लोड होती है। एक ट्रक कम से कम नौ सौ घन मीटर से भी ज्यादा माल लाद लेता है। इसका सीधा सा फंडा यह भी है कि ट्रक में मौरंग के लिए रायल्टी उतनी ही पड़ती है और भाड़ा भी लगभग बराबर ही होता है। इन हालातों में ट्रक मालिक की तो यही सोच रहती है कि जब हमें भाड़ा उतना ही मिलना है तो माल ओवरलोड क्यों न ढोया जाए। इसका उन्हें मुनाफा भी मिलता है। इन सबके बीच में पुलिस हो या बैरियर वाले, यह भी फायदा उठाते हैं और पैसा लेकर अपनी आंख बंद कर लेते हैं। इन ओवरलोडिंग का ही कारण है कि बेहतर सड़कें भी एक दो साल में ही दम तोड़ देती हैं। इसके उदाहरण के लिए राठ-उरई माग, राठ महोबा मार्ग, राठ-हमीरपुर आदि सड़कें हैं। कुछेछा-पत्योरा आदि रोड भी पांच साल के अंदर ही पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। कारण यहां रात-दिन मौरंग के ओवर लोड ट्रकों की लंबी लाइनें खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं।
क्या बोले जिम्मेदार
''ओवरलोडिंग पर रोक वाहन भरने के प्वाइंट से ही लग सकती है, इसमें हमारा विभाग ही नहीं जांच के लिए पुलिस और बैरियर भी होते हैं।'' -मो. अजीम खान, एआरटीओ, हमीरपुर।