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देवी जयकारा से गूंज उठा वातावरण

By Edited By: Published: Mon, 31 Mar 2014 10:16 PM (IST)Updated: Mon, 31 Mar 2014 10:16 PM (IST)
देवी जयकारा से गूंज उठा वातावरण

ज्ञानपुर (भदोही) : वासंतिक नवरात्र के प्रथम दिन सोमवार को देवी मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। आदि शक्ति मां जगदम्बा का शैलपुत्री के रूप में पूजन किया गया। घंटा-घड़ियाल से गांव और शहर गूंजते रहे। वहीं घरों में कलश स्थापित कर विधि-विधान से पूजन किया गया।

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पहले दिन भोर से ही जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। महिलाएं थाल में पूजन सामग्री लेकर आदि शक्ति के दर्शन करने के लिए निकल पड़ीं। भक्तों में देवी भक्ति का आस्था फूट पड़ा। स्थानीय घोपइला शीतला माता के मंदिर में पट खुलते ही भारी भीड़ लग गई। देवी जयकारा से पूरा वातावरण ही गूंज उठा। अधिकांश भक्त देवी मंदिरों में ही कलश स्थापित कर पूजन किए। नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। इन्हें उमा, पार्वती, दुर्गा, अपर्णा, गौरी, उमा, महेश्वरी, शिवांगी, शुभांगी और पर्वतवासिनी आदि नाम से भी जाना जाता है।

पार्वती के आराधना के साथ घटस्थापन और अखंड ज्योति और देवी के प्रथम चरित्र का पाठ करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। घटस्थापना के बाद देवी सूक्ति एवं मंत्रों से पूरा क्षेत्र ही देवी मय हो गया। सुरक्षा के मद्दे नजर भी मंदिर के आस-पास व्यापक प्रबंध किया गया था।

गोपीगंज प्रतिनिधि के अनुसार: नगर स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर में भी भोर से ही भक्तों का तांता लगा रहा। कड़ी धूप और उमस के बाद भी भक्त कतारबद्ध होकर मां का एक झलक पाने के लिए बेसब्री से इंतजार में लगे रहे। दोपहर बाद कतार कुछ हुई तो शाम होते-होते फिर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। देवी भक्त भक्ति गीतों पर झूमते रहे। इसके अलावा देवी भक्त अपने घरों में भी कलश स्थापित कर नौ दिनों तक मां के सभी रूपों का दर्शन करेंगे।

ऊंज प्रतिनिधि के अनुसार: चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। स्थानीय चेरापुर, टिकेश्वरनाथ मंदिर,मोने, ऊंज, रोही आदि गांवों में स्थित देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही।

आज पूजीं जाएंगी ब्रह्मचारिणी

वासंतिक नवरात्र के दूसरे दिन देवी दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। भक्त दूसरे दिन मंगलवार को भगवती के दूसरे रूपों में विधि-विधान से दर्शन-पूजन करेंगे। मान्यता है कि साधक यदि भगवती के इस स्वरूप की आराधना करता है तो उसमें तप करने की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है।

जीवन के संघर्ष में कहीं भी मनुष्य को डगमाने नहीं देतीं हैं। भगवती ब्रह्मचारिणी की कृपा से भक्तों को सदा विजय की प्राप्ति होती है।


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