हिंदी भाषा के बिना भारतीयों का विकास नहीं
निप्र. गलगलिया (किशनगंज) : हिंदी हमारी मातृभाषा, राजभाषा और राष्ट्रभाषा है। हिंदी संवैधानिक रुप से भारत की प्रथम राजभाषा तथा भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। चीनी भाषा के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। भारत और अन्य देशों में 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फिजी, मारीशस, गुयाना, सूरीनाम में अधिकतर और नेपाल के कुछ लोग हिन्दी बोलते हैं। सभी को अपने राष्ट्रभाषा के महत्ता की जानकारी है। अफसोस इस बात का भी है कि आज लोग हिन्दी को कम और अंग्रेजी को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं। जानकारी के मुताबिक संविधान सभा में हिन्दी की स्थिति को लेकर 12 सितंबर 1949 को बहस शुरु हुई और 14 सितंबर 1949 को समाप्त हुई। संविधान सभा के अध्यक्ष व देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने हिन्दी को राजभाषा के रुप में अंगीकृत किया , तभी से 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस बावत एमएच आजाद नेशनल इंटर कॅालेज ठाकुरगंज के प्राचार्य प्रो. शब्बीर अहमद ने कहा कि हम हिन्दी भाषा के माध्यम से ही प्रत्येक भारतवासी को मुख्यधारा से जोड़ सकेंगे। हिन्दी हमारी राजभाषा ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान भी है। आज टेक्नालॉजी के दौर में हिन्दी पर लोग कम ध्यान दे रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। नया प्राथमिक विद्यालय बेसरबाटी आदिवासी टोला के प्रधान शिक्षक मो. सलाम अंसारी ने कहा कि हिन्दी हमारी महत्वपूर्ण भाषा है। इसके बगैर कहीं भी कोई काम संभव नहीं है और न हम भारतीय का विकास हो सकता है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय फाटामारी के प्रधानाध्यापक अर्जुन पासवान बताते हैं कि हिन्दी हमारी मातृभाषा है। इसको कभी भी नहीं भूलना चाहिए। यह हमारे आचार-विचार-व्यवहार की भाषा है। वहीं भाजपा नगर युवा अध्यक्ष प्रमोद राज चौधरी ने कहा कि विभिन्न मंचों पर वे लोग हिन्दी का गुणगान करते हैं। इसकी खूबियां गिनाते हैं।
अंग्रेजी स्कूलों की बाढ़ में हम सूरदास-तुलसीदास-प्रेमचंद-भारतेन्दु हरिश्चंद्र की मीठी बोली से गुम हो रहे हैं।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर