घटिया मिड-डे मील को लेकर केंद्र से जवाब तलब
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के स्कूलों में बच्चों को आवश्यकता से कम एवं घटिया मिड-डे मील परोसे जाने के मामले में केंद्र सरकार से जवाब मागा है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रामना व न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग की खंडपीठ ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से इस मामले में 6 नवंबर तक जवाब मागा है। हाईकोर्ट में मिड-डे मील मामले को लेकर अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि मिड-डे मील का मेन्यू पोषण संबंधी नियमों से मेल नहीं खा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
इसी बीच दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने एक हलफनामा दायर करते हुए बताया कि अभी तक केंद्र सरकार ने कोई ऐसे दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है, जिसके तहत स्कूलों में मिड-डे मील की जाच की जा सके। साथ ही बताया कि मिड-डे मील खाने से बच्चे बीमार होने के मामले में खाना तैयार करने वाले तीन एनजीओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
पूर्व में एमसीडी ने खुद माना था कि इस समय 13 एनजीओ एमसीडी के स्कूलों में मिड-डे मील मुहैया करवा रहे हैं। उनके पास एक केंद्रित रसोई है, जहां से बंद कंटेनर में खाना स्कूलों में भेजा जाता है। स्कूलों के प्रिंसिपल बच्चों को यह खाना देने से आधे घटे पहले चखते है। हालाकि यह सच है कि स्कूलों द्वारा बच्चों को खाना ठीक तरीके से नहीं परोसा जा रहा है। प्लेट की ठीक ढंग से सफाई नहीं की जाती है। स्कूलों को खाना परोसते समय साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए, परतु उसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले बिहार में मिड-डे मिल खाने से दो दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद देशभर में अलग-अलग स्थानों पर मिड-डे मिल की सच्चाई उजागर हुई। उसी दौरान दिल्ली में एमसीडी के एक स्कूल में मिड-डे मील चखने पर स्कूल की प्रिंसिपल व दो शिक्षक बीमार हो गए थे। न्यायालय ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था।
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